Saturday, December 14, 2024
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Explainer: Bull vs Bear मार्केट में क्या है अंतर? इन्वेस्टर्स इनको भांप कर ही लेते हैं फैसला

दोनों ही टर्म स्टॉक मार्केट में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इसका इस्तेमाल बाजार के सेंटीमेंट और डायरेक्शन की व्याख्या के लिए किया जाता है। तेजी और मंदी दोनों ही बाजार निवेशकों को मुनाफा कमाने के अवसर प्रदान करते हैं।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Mar 29, 2024 11:39 IST, Updated : Mar 29, 2024 11:41 IST
बुल मार्केट एक ऐसी स्थिति है जहां सिक्योरिटीज की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और बढ़ने की संभावना है। - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV बुल मार्केट एक ऐसी स्थिति है जहां सिक्योरिटीज की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और बढ़ने की संभावना है।

आपने शेयर मार्केट मे बुल और बियर मार्केट के बारे में सुना होगा। दरअसल, दोनों ही टर्म स्टॉक मार्केट में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इसका इस्तेमाल बाजार के सेंटीमेंट और डायरेक्शन की व्याख्या के लिए किया जाता है। जब कोई निवेशक (इन्वेस्टर्स) मार्केट में पैसा लगाने का फैसला लेता है तो वह तेज मार्केट और सुस्त मार्केट की स्थितियों को पहले समझता है। यह जरूरी भी है। आइए बुल मार्केट यानी तेज चढ़ते शेयर मार्केट और बियर मार्केट यानी सुस्त शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझ लेते हैं।

बुल मार्केट और बियर मार्केट

बुल मार्केट एक ऐसी स्थिति है जहां प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और बढ़ने की संभावना है। बढ़ते शेयर बाजार के दौरान, निवेशकों के बीच व्यापक पॉजिटिव सोच होती है और सेंटीमेंट उत्साहित होता है। बुल मार्केट का नामकरण पशु बुल यानी सांड़ से लिया गया है। सांड़ अपने सींगों को हवा में उछालकर अपने शिकार पर हमला करता है। इसी तरह, बुल मार्केट में स्टॉक की कीमतें लगभग आसमान छू रही होती हैं, जिससे आपको अविश्वसनीय रिटर्न मिल सकता है। बुल मार्केट का दौर आम तौर पर थोड़े समय के लिए रहता है।

बियर मार्केट,बाजार की एक ऐसी स्थिति है जहां स्टॉक की कीमतें तेजी से गिर रही होती हैं। बाजार में गिरावट का रुख कुछ समय तक जारी रहने की संभावना होती है। इससे पता चलता है कि बाजार में काफी अनिश्चितता है और निवेशकों की भावना यानी सेंटीमेंट निराशावादी यानी निगेटिव है। बियर मार्केट शब्द की प्रेरणा पशु भालू से ली गई है क्योंकि यह अपने शिकार पर हमला करने के लिए अपना पंजा नीचे की ओर घुमाता है।

बुल मार्केट और बियर मार्केट की बीच अंतर को समझें

स्टॉक प्राइस

स्टॉक की कीमतें निस्संदेह बाजार के ट्रेंड का पहला संकेतक हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के मुताबिक, आम तौर पर यह माना जाता है कि बुल मार्केट (तेजी का बाजार) वह अवधि है जब शेयर की कीमतें अपने हाल के न्यूनतम स्तर से 20% बढ़ जाती हैं। इसके उलट, बियर मार्केट (मंदी का बाजार) तब होता है जब शेयर की कीमतें अपने हाल के उच्चतम स्तर से 20% लुढ़क जाती हैं।

स्टॉक की डिमांड और सप्लाई

बुल मार्केट में, जैसे-जैसे शेयर की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, कई निवेशक इसमें शामिल होने की चाहत रख सकते हैं। ऐसे में स्टॉक की डिमांड बढ़ जाती है। साथ ही अच्छे रिटर्न कमाने की संभावना को जानते हुए, ज्यादातर मौजूदा निवेशक अपने स्टॉक बेचना नहीं चाहते हैं।

बियर मार्केट में इसका ठीक उल्टा है। चूंकि स्टॉक की कीमतें गिर रही होती हैं, इसलिए बहुत से निवेशक स्टॉक खरीदना नहीं चाहते हैं, और मौजूदा निवेशक जल्द से जल्द अपने स्टॉक बेच देते हैं। इससे पता चलता है कि सप्लाई तो बहुत है लेकिन डिमांड न्यूनतम है या पूरी करने के लिए बिल्कुल भी नहीं है।

इन्वेस्टर्स का सेंटीमेंट

बुल मार्केट फेज के दौरान, क्योंकि शेयर की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, निवेशकों की धारणा पॉजिटिव होती है। नए निवेशक बाजार में एंट्री करना चाहते हैं, जबकि मौजूदा निवेशक अपने निवेश को भुनाना और अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं या अपने निवेश को बनाए रखना चाहते हैं।

बियर मार्केट फेज में, चूंकि शेयर की कीमतें गिर रही हैं और यह निश्चित नहीं है कि बाजार कब वापसी करेगा। ऐसे में निवेशकों में निगेटिव सेंटीमेंट (भावना) घर कर लेता है। व्यापक निराशावाद में नए निवेशक बाज़ार में निवेश करने से बचते हैं जबकि मौजूदा निवेशक अपनी स्थिति ख़त्म करना चाहते हैं।

बुल मार्केट से संकेत मिलता है कि शेयर बाजार में लिस्टेंड कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।

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बुल मार्केट से संकेत मिलता है कि शेयर बाजार में लिस्टेंड कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।

आर्थिक स्थिति

शेयर बाजार और देश की अर्थव्यवस्था एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। बुल मार्केट से संकेत मिलता है कि शेयर बाजार में लिस्टेंड कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, हाई प्रॉफिट देखने को मिल रही है और अर्थव्यवस्था में मांग मजबूत है। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार और मजबूती आती है। बियर मार्केट कमजोर आर्थिक स्थिति का संकेत देता है। यह दर्शाता है कि कमजोर उपभोक्ता खर्च के बीच कंपनियां भारी मुनाफा कमाने में असमर्थ हैं। लाभप्रदता में यह गिरावट सीधे शेयर की कीमतों और आखिरकार पूरे बाजार को प्रभावित करती है।

हर तरह के बाजार में निवेश

एचडीएफसी सिक्योरिटीज का कहना है कि अब जब आप बुल मार्केट और बियर मार्केट के बीच अंतर समझ रहे हैं तो आपको इसके मुताबिक निवेश करना सीखना आना चाहिए। समझदारी इसी में है कि बुल मार्केट में यथार्थवादी बनें, जबकि बियर मार्केट में धैर्य रखें। याद रखें, तेजी और मंदी दोनों ही बाजार निवेशकों को मुनाफा कमाने के अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन उनके अपने जोखिम भी हैं। ऐसे में एक सफल निवेश के लिए एक अच्छी स्ट्रैटेजी के साथ सावधानीपूर्वक निवेश पर फैसला लेना चाहिए।

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