Friday, March 29, 2024
Advertisement

26 जनवरी को बांग्लादेश की सेना भी करेगी राजपथ पर परेड, ये है वजह

रक्षा अधिकारी ने कहा, "1971 की लड़ाई में पाकिस्तान पर भारतीय विजय के 50वें वर्ष बांग्लादेशी सेना का एक प्रतिनिधिमंडल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेगा।" 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 03, 2021 22:19 IST
26 जनवरी को बांग्लादेश की सेना भी करेगी राजपथ पर परेड, ये है वजह - India TV Hindi
Image Source : PTI 26 जनवरी को बांग्लादेश की सेना भी करेगी राजपथ पर परेड, ये है वजह 

नई दिल्ली: भारत ने 1971 में पाकिस्तान से जंग लड़कर बांग्लादेश को पहचान दी। जंग में भारत ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया और बांग्लादेश का जन्म हुआ। अब इस जंग में भारतीय विजय के 50वें साल बांग्लादेश की सेना का एक प्रतिनिधिमंडल 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेगा। 

बांग्लादेश की सेना के प्रतिनिधिमंडल के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की पुष्टि एक रक्षा अधिकारी ने की है। रक्षा अधिकारी ने कहा, "1971 की लड़ाई में पाकिस्तान पर भारतीय विजय के 50वें वर्ष बांग्लादेशी सेना का एक प्रतिनिधिमंडल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेगा।" 

13 दिन में भारत ने कैसे पाकिस्तान पर जीत हासिल की?

अभी 13 दिन ही हुए थे, पाकिस्तान अपने घुटनों के बल रेंगने को मजबूर हो चुका था, उसकी तमाम युद्धनीतियां अब आत्मसमर्पण के फैसले पर आ टिकी थीं। और, ऐसी ही परिस्थितियों के बीच एक नए देश का जन्म हुआ। नाम रखा गया- ‘बांग्लादेश’। तारीख थी 16 दिसंबर 1971, पाकिस्तान के करीब 90,000 से ज्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और भारत ने युद्ध जीत लिया। जश्न में मनाया जाने लगा- ‘विजय दिवस’।

ये संपूर्ण वियज गाथा नहीं है, बस उसका महज बिंदू मात्र है। विजय दिवस के पीछ की विजय गाथा तो आगे पढ़िए। भारत की आजादी के बाद भारत से अलग होकर पाकिस्तान अस्तित्व में आया। हिस्से बने दो- पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। लेकिन, भाषा-बोली, खान-पान और मान्यताओं को लेकर दोनों में ज्यादा समानताएं नहीं थी। पाकिस्तानी आर्मी की आंखों में पूर्वी पाकिस्तान चुभता था।

लिहाजा, धीरे-धीरे हालात ऐसा हो गए कि पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को आर्मी की नजरों में भारत का एजेंट माना जाने लगा। ये 1971 का वक्त था, पाकिस्तानी आर्मी ने ऑपरेशन सर्च लाइट चलाकर पूर्वी पाकिस्तान के निहत्थे और मासूम लोगों को घर से निकाल-निकालकर मारना शुरू कर दिया, औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार किए गए, बड़ी संख्या में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों को गोलियों से भून दिया गया। अभी ढाका मस्जिद के पास बनी बड़ी सी कब्र में दफ्न हजारों लाशें उस दौर का स्मारक हैं।

पाकिस्तानी आर्मी के इसी जुल्म के खिलाफ भारत खड़ा हो गया। 3 दिसंबर 1971 को भारतीय फौज ने पाकिस्तानी सेना पर हमला बोला। जनरल मानेकशॉ की अगुवाई में भारतीय सेना मुक्ति वाहिनी के साथ शामिल हुई। ये वहीं मुक्ति वाहिनी है, जिसे पाकिस्तानी सेना में काम करने वाले पूर्वी पाकिस्तानी सैनिकों ने बनाया था। लेकिन, भारत ने हमले की पहल नहीं की थी।

दरअसल, भारतीय सेना के मुक्ति वाहिनी के साथ मिलने की घोषणा के बाद पाकिस्तान ने भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से पर 3 दिसंबर को हमला किया। जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें सीमा से तुरंत ही खदेड़ दिया। इसके बाद भारतीय सेना रणनीति के साथ बांग्लादेश की सीमा में घुसी और लगभग 15 हजार किलोमीटर के दायरे को अपने कब्जे में ले लिया।

संघर्ष की शुरुआत हुई, युद्ध में दोनों ओर से लगभग 4 हजार सैनिक मारे गए। अब 13 दिन बीत चुके थे, कैलेंडर पर तारीख चस्पा थी 16 दिसंबद और ‘रणभूमि’ में पाकिस्तान के 'मनोबल' की हजारों लाशें पड़ी थीं। पाकिस्तान के करीब 90,000 से ज्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। अब भारत युद्ध जीत चुका था।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement