Friday, April 26, 2024
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Coronavirus: दवा दुकानदारों को रखना होगा बुखार-खांसी की दवा खरीदने वालों का रिकॉर्ड, कई राज्‍यों ने जारी क‍िए आदेश

यह देखा गया है कि लोग झिझक और सामाजिक कलंक की वजह से कोरोना वायरस से मिलते-जुलते लक्षणों जैसे बुखार या खांसी होने पर सीधे दवा की दुकान पर जाते हैं और बुखार की दवाई मांगते हैं।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: April 20, 2020 7:35 IST
Coronavirus: drug shopkeepers will have to keep records of those who buy fever-cough medicine- India TV Hindi
Coronavirus: drug shopkeepers will have to keep records of those who buy fever-cough medicine

नई दिल्‍ली। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए, कई राज्यों के अधिकारियों ने दवा दुकानदारों से जुकाम, खांसी और बुखार की दवाई खरीदने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखने को कहा है। कोविड-19 के लक्षणों में खांसी, बुखार और जुकाम शामिल है। इस बाबत दवाई दुकानदारों के लिए पांच राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और बिहार तथा संघ शासित क्षेत्र चंडीगढ़ ने परामर्श जारी किया है। कुछ राज्यों में अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जानकारी को अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लोग कोरोना वायरस के लक्षणों को छुपाए नहीं, जबकि अन्य का कहना है कि यह कदम एहतियाती उपाय के तहत उठाया जा रहा है।

तेलंगाना में सभी नगर आयुक्तों और जिलों के अतिरिक्त कलेक्टरों को जारी मेमो में राज्य के प्रधान सचिव (नगर निकाय और शहरी विकास) अरविंद कुमार ने कहा कि यह देखा गया है कि लोग झिझक और सामाजिक कलंक की वजह से कोरोना वायरस से मिलते-जुलते लक्षणों जैसे बुखार या खांसी होने पर सीधे दवा की दुकान पर जाते हैं और बुखार की दवाई मांगते हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम अतिसक्रियता से उन मामलों को देखें जिनको कोरोना वायरस से मिलता जुलता बुखार और अन्य लक्षण हैं। मेमो में कहा गया है कि हमें इन रोगियों से संपर्क कर इनकी लक्षणों के आधार पर जांच करानी चाहिए।

कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे संबंधित एसोसिएशनों सहित सभी दवा दुकानदारों के साथ बैठक बुलाएं और उन्हें निर्देश दें कि वे इन दवाओं को खरीदने वाले ग्राहकों के पते और फोन नंबर ज़रूर लें। महाराष्ट्र में राज्य खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन समेत विभिन्न तरीके के बुखार और खांसी के इलाज में काम आने वाली दवाइयों का विस्तृत रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया है। महाराष्ट्र में ही कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। पुणे में एक अधिकारी ने बताया कि कई लोग डॉक्टर के पर्चे के बिना दवाइयां खरीद रहे हैं। कोरोना वायरस लक्षण के लिए दवाई खरीद रहे लोगों का रिकॉर्ड रखने से प्रशासन को महामारी से बेहतर तरीके निपटने में मदद मिलेगी।

ओडिशा में भी ऐसी दवाई खरीदने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखने को कहा गया है। अधिकारियों को शक है कि लोग जांच से बचने के लिए कोरोना वायरस के लक्षणों को दबाने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ओडिशा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले औषधि प्रशासक ने दवा दुकानदारों से कहा है कि वे उन लोगों के पते या कम से कम फोन नंबर ही नोट करें जो जुकाम, खांसी और छींकों की दवाई लेने आ रहे हैं। ओडिशा की औषधि नियंत्रक एम पटनायक ने कहा कि  हम जुकाम और बुखार के प्रति संवेदनशील जनसंख्या के अनुपात का पता लगाने के लिए आंकड़े एकत्र कर रहे हैं। इसमें फिक्र की कोई बात नहीं हैं। इन आंकड़ों का इस्तेमाल भविष्य में चरम परिस्थिति में किया जा सकता है।

पटनायक ने कहा कि औषधि नियंत्रक ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन जैसी कुछ दवाइयों की बिक्री को पहले ही प्रतिबंधित कर दिया है। दवा दुकानदारों को निर्देश दिया गया है कि ये दवाइयां बिना डॉक्टर के पर्चे के न दें। रिपोर्टें बताती हैं कि लोगों ने बड़ी संख्या में पेरासिटामोल जैसी दवाइयां खरीदी हैं, जिनका इस्तेमाल संक्रामक वायरस के लक्षणों को दबाने के लिए किया जा सकता है। बिहार की राजधानी पटना सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में दवा दुकानदारों को सर्दी, खांसी और बुखार के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की बिक्री के समय रसीद पर मरीज़ का नाम, पता और मोबाइल नंबर लिखने का निर्देश दिया गया है।

पटना नगर निगम क्षेत्र के सहायक औषधि नियंत्रक विश्वजीत दास गुप्ता द्वारा दवा दुकानदारों को जारी एक पत्र में कहा गया है कि जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देश के अनुपालन में आप सभी को निर्देशित किया जाता है कि अपनी दुकान से सर्दी, खांसी और बुखार के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां खरीदने वालो से मरीज़ का नाम, पता और मोबाइल नंबर पूछें तथा उसे रसीद पर अवश्य लिखें। कैमूर जिला के सहायक औषधि नियंत्रक द्वारा औषधि निरीक्षकों को सात अप्रैल को जारी एक पत्र में भी यही कहा गया है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के मद्देनजर उक्त जानकारी आवश्यक है, ताकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन रोगियों के संबंध में आगे की कार्य योजना तैयार की जा सके।

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