Wednesday, May 15, 2024
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कोटा में फंसे करीब 500 छात्र 40 बसों में सवार होकर दिल्ली पहुंचे

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि कश्मीरी गेट अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी) पर पहुंचे छात्रों को चिकित्सा जांच के बाद डीटीसी की बसों से उनके घर भेजा जाएगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 03, 2020 16:00 IST
Coronavirus Lockdown: Around 500 students stranded in Kota...- India TV Hindi
Coronavirus Lockdown: Around 500 students stranded in Kota arrived in Delhi

नयी दिल्ली: लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे दिल्ली के करीब 500 छात्र 40 प्राइवेट बसों में सवार होकर रविवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी लौटे। दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि कश्मीरी गेट अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी) पर पहुंचे छात्रों को चिकित्सा जांच के बाद डीटीसी की बसों से उनके घर भेजा जाएगा। लंबे सफर से थके छात्रों ने बताया कि वे कोटा में अकेला महसूस कर रहे थे और घर लौटकर राहत महसूस कर रहे हैं। 

कोटा में नीट की तैयारी कर रहे मोहन गार्डन निवासी अरुण कुमार ने कहा, ‘‘जिस हॉस्टल में मैं रहता था वह धीरे-धीरे खाली हो गया और कुछ ही छात्र वहां रह गए। लॉकडाउन संबंधी पाबंदियों के कारण हॉस्टल के एक कमरे में कई दिन बिताने के कारण मैं अपने घर जाने तथा अपने परिवार से मिलने के लिए तरसता रहा। इस बेचैनी के बीच पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल था।’’ कुमार ने कहा कि वह घर लौटकर काफी राहत महसूस कर रहे हैं। इससे पहले दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोटा से 40 निजी बसों में 800 से अधिक छात्रों को दिल्ली वापस लाया जाएगा। दिल्ली सरकार के छात्रों को वापस लाने के अभियान के नोडल अधिकारी राजीव सिंह ने कहा कि 480 छात्रों को वापस लाया गया क्योंकि कोटा प्रशासन की मदद से तैयार की गई सूची में कई नामों में दोहराव था। 

उन्होंने कहा, ‘‘कोटा से कुल 480 छात्रों को वापस लाया गया है। सभी छात्रों का स्वास्थ्य ठीक है।’’ उन्होंने बताया कि कोटा से यात्रा के दौरान छात्रों के साथ दिल्ली सरकार के अधिकारियों की टीमों ने उनकी जरूरतों का ध्यान रखा और उनका सामान वापस लाने के लिए नागरिक रक्षा स्वयंसेवकों को तैनात किया गया था। सामान में पढ़ाई की सामग्री तथा किताबें शामिल हैं। कोटा में मेडिकल की कोचिंग ले रहे जनकपुरी के नावेद आलम ने बताया कि दूसरे राज्यों के लगभग सभी छात्र अपने घर लौट गए थे, जिसके बाद वह ‘‘अकेलापन और तनावग्रस्त’’ महसूस करने लगे। 

आलम ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों के छात्रों के जाने के बाद मैं अकेला महसूस करने लगा था। खाने की कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन हॉस्टल में रहना और पढ़ाई पर ध्यान लगाना मुश्किल हो गया था।’’ इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयार कर रही दक्षिण दिल्ली की एक अन्य छात्रा ने कहा कि लॉकडाउन ने छात्रों की परीक्षा की तैयारियों को ‘‘बुरी तरह प्रभावित’’ किया है। उसने कहा, ‘‘लॉकडाउन के कारण मेरी पढ़ाई पर काफी बुरा असर पड़ा है क्योंकि हमें हॉस्टल में रहने की सलाह देने के बाद से कक्षाएं बंद हो गईं। मैं अपनी किताबें लाई हूं और अब मैं फिर से पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकूंगी तथा नुकसान की भरपाई करने की कोशिश करुंगी।’’ 

आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही तुगलकाबाद की रिषिका जैन ने कहा कि इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि जेईई की परीक्षा कब होगी और हॉस्टल के कमरों में सिमटे रहना जबकि दिल्ली में हमारा परिवार चिंतित था यह बहुत तनावपूर्ण स्थिति थी। मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे एक अन्य छात्र शाश्वत झा ने छात्रों को वापस लाने के फैसले का स्वागत किया लेकिन एक साल और खराब होने पर नाराजगी जताई। उसने कहा, ‘‘मुझे इस साल कॉलेज जाने की कोई उम्मीद नहीं है।’’ 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं जून में कराने की योजना है। हालांकि, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। गौरतलब है कि जेईई परीक्षा अप्रैल के पहले सप्ताह जबकि नीट तीन मई (रविवार) को होनी थी। इस बीच, दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने छात्रों की सुरक्षित वापसी के काम में समन्वय के लिए कश्मीरी गेट आईएसबीटी पर एक पूछताछ काउंटर बनाया है। 

दिल्ली में 11 जिलों के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए गए हैं। छात्रों को अपने-अपने जिलों के काउंटर पर जाने के निर्देश दिए गए, जहां उनकी कोरोना वायरस के लिए जांच की गई। छात्रों की चिकित्सा जांच और उन्हें डीटीसी की बसों से उनके घर पहुंचाने में मदद के लिए नागरिक रक्षा स्वयंसेवकों को तैनात किया गया। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे छात्र कोटा में फंस गए थे और उनके माता-पिता ने दिल्ली सरकार से उन्हें वापस लाने की अपील की थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छात्रों को वापस लाने का आश्वासन दिया था।

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