Thursday, March 28, 2024
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श्रद्धांजलि: डॉक्टर लालजी सिंह ने यूं कराई थी राजीव गांधी के शव की शिनाख्त

प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में डीएनए फिंगर प्रिटिंग के जनक लालजी सिंह का रविवार को वाराणसी एयरपोर्ट पर दिल का दौरा पड़ने से 70 साल की उम्र में निधन हो गया...

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 12, 2017 17:13 IST
Lalji Singh- India TV Hindi
Lalji Singh

लखनऊ: प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में डीएनए फिंगर प्रिटिंग के जनक लालजी सिंह का रविवार को वाराणसी एयरपोर्ट पर दिल का दौरा पड़ने से 70 साल की उम्र में निधन हो गया। डॉक्टर सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के पूर्व कुलपति भी थे, और यही वजह है कि उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सोमवार को छात्र समुदाय उमड़ पड़ा। छात्रों ने बिड़ला हॉस्टल से सिंह द्वार तक कैंडिल मार्च निकाला। श्रद्धांजलि सभा में छात्रों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

एयरपोर्ट पर आया था हार्ट अटैक

जौनपुर के ब्लॉक सिकरारा में स्थित कलवारी गांव निवासी लालजी सिंह 3 दिन पहले अपने गांव आए थे। वह रविवार की शाम हैदराबाद जाने के लिए फ्लाइट पकड़ने वाराणसी के बाबतपुर में स्थित लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुंचे थे। उनकी फ्लाइट शाम साढ़े पांच बजे थी। इससे पहले ही करीब 4 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। उन्हें फौरन BHU के सर सुंदर लाल हॉस्पिटल पहुंचाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अस्पताल में इलाज के दौरान रात करीब 10 बजे उन्होंने अंतिम सांसें लीं।

डॉक्टर लालजी सिंह की संक्षिप्त जीवन यात्रा
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 5 जुलाई 1947 को जन्मे लालजी हैदराबाद में स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर और मॉलिक्युलर बायोलॉजी (CCMB) के संस्थापक थे। उन्हें अंडमान एवं निकोबार में आदिवासियों के लिए काम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी मिली। वह 1998 से 2009 के बीच CCMB के निदेशक भी रहे। साल 2011 में वह BHU के कुलपति बने और 2014 तक बने रहे। डॉक्‍टर लाल जी सिंह ने सन 1988 में DNA फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया था। इस आविष्‍कार ने देश में अपराध के छानबीन की पूरी प्रक्रिया ही बदल दी। इस प्रक्रिया से हत्‍या के कई बड़े केसों को सुलझाने में मदद मिली जिसमें राजीव गांधी की हत्या, दिल्ली का नैना साहनी तंदूर मर्डर केस, उत्तर प्रदेश का चर्चित मधुमिता हत्याकांड और प्रियदर्शिनी मट्टू मर्डर केस शामिल हैं।

यूं हुई थी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शव की शिनाख्त
वह डॉक्टर सिंह ही थे जिनकी वजह से पूर्व PM राजीव गांधी के शव की शिनाख्त हो पाई थी। 1991 में जब तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बम धमाके में मौत हुई तो उस समय शव की शिनाख्‍त बेहद मुश्‍किल हो गई थी। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उस समय डॉक्टर सिंह ने DNA फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने की सलाह दी। इसके बाद राजीव की बेटी प्रियंका गांधी के नाखून का सैंपल लिया गया और इसके DNA को शव के DNA से मैच कराया गया, जिसके बाद शव की पहचान हो पाई।

CM योगी ने जताया शोक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लालजी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उनके निधन से देश ने एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और बेहतरीन शिक्षक खो दिया है। मुख्यमंत्री की ओर से सोमवार को जारी शोक संदेश में कहा गया कि प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद लालजी ने शिक्षा ग्रहण की और शिखर पर पहुंचे और नई पीढ़ी के अनुकरण के लिए उदाहरण छोड़ गए।

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