Sunday, May 12, 2024
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जस्टिस दीपक मिश्रा बने देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई शपथ

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा नेआज देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश के रुप में शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Published on: August 28, 2017 9:42 IST
Chief justice of india deepak mishra- India TV Hindi
Chief justice of india deepak mishra

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा नेआज देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश के रुप में शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य लोग वहां मौजूद थे। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी के खिलाफ मध्य रात्रि में सुनवाई की थी और निर्भया बलात्कार कांड के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। 

राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में सोमवार सुबह शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। उनका कार्यकाल तीन अक्टूबर 2018 को समाप्त होगा। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर आज (रविवार) को सेवानिवृत्त हो गए। स्थापित परिपाटी के अनुसार न्यायमूर्त खेहर ने पिछले महीने मिश्रा को देश का आगामी प्रधान न्यायाधीश नामित किया था। 

न्यायमूर्ति मिश्रा भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने वाले ओडिशा की तीसरे न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति जीबी पटनायक भी इस पद पर रह चुके हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा याकूब मेमन पर दिए गए फैसले के कारण काफी सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने रात भर सुनवाई करते हुए याकूब की फांसी पर रोक लगाने संबंधी याचिका निरस्त कर दी थी। 

न्यायमूर्ति मिश्रा पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। तीन अक्टूबर 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। तीन मार्च 1997 को उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया। उसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी। 

                
चार दिन बाद 23 दिसंबर 2००9 को उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाये और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किये। उन्हें 1० अक्टूबर 2०11 को पदोन्नत करके उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने ही देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के आदेश जारी किए थे।

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