Friday, March 29, 2024
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दिवाली: बाजारों में छाईं यूपी के इस जिले की मूर्तियां, चीनी मूर्तियों का किया डब्बा गोल

कुछ समय पहले तक चीन की बनी मूर्तियों ने भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया था, लेकिन यूपी के एक जिले ने चीनी मूर्तियों को पूरी तरह से बाजार से बाहर कर दिया है...

Bhasha Edited by: Bhasha
Published on: October 15, 2017 14:41 IST
Representational Image- India TV Hindi
Representational Image | PTI Photo

नई दिल्ली: दिवाली के लिए सजे-धजे बाजारों में इस बार चीन से आयातित मूर्तियां पूरी तरह गायब हैं और उत्तर प्रदेश के मेरठ से आई मूर्तियों (गॉड फिगर) का जलवा ही चारों तरफ दिखाई दे रहा है। व्यापारियों के मुताबिक, दिल्ली और आसपास के इलाकों से भी कुछ मूर्तियां बाजार में आई हैं, लेकिन मेरठ के मूर्तिकार बाजार पर पूरी तरह से हावी हैं। व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल दिवाली पर राजधानी के बाजारों में दिल्ली के बुराड़ी, पंखारोड, गाजीपुर, सुल्तानपुरी आदि इलाकों के मूर्तिकारों की मूर्तियां छाई रहतीं थीं, लेकिन इस बार मेरठ इन पर हावी हो गया है। दिल्ली के मूर्तिकार उनसे पिछड़ गए हैं। वहीं मेरठ के अलावा कोलकाता से आई मूर्तियां भी बाजार में बिक रही हैं।

राजधानी के प्रमुख थोक बाजार सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि इस बार मूर्तियों के बाजार में ज्यादातर मेरठ की मूर्तियां बिक रही हैं। चीन पूरी तरह गायब हो चुका है। उपभोक्ता भी सिर्फ देश में बनी देवी-देवताओं की मूर्तियों की मांग कर रहे हैं। मूर्तियों के बाजार में 60 से 70 प्रतिशत पर मेरठ काबिज है। सदर बाजार में पिछले कई दशक से कारोबार कर रहे स्टैंडर्ड ट्रेडिंग के सुरेंद्र बजाज कहते हैं कि चीनी मूर्तियों का जमाना अब लद गया है। हम पूरी तरह देश में बनी मूर्तियां ही बेच रहे हैं। बजाज कहते हैं कि मेरठ देश का प्रमुख मूर्ति केन्द्र बन गया है। जब मेरठ के मूर्तिकार हमें उतनी ही कीमत पर मूर्तियां उपलब्ध करा रहे हैं, तो हमें चीन को ऑर्डर देने की क्या जरूरत है। बजाज बताते हैं कि मुख्य रूप से रेजिन के मैटिरियल की मूर्तियों की मांग है। इनकी कीमत 100 रुपये से शुरू होकर 4,000 रुपये तक है।

एक अन्य कारोबारी अनुराग कुमार कहते हैं कि दिवाली पर मूर्तियों की खरीद पूजन के अलावा सजावट के मकसद से भी की जाती है। ऐसे में ग्राहक ऐसी मूर्तियां चाहते हैं जो टिकाऊ हों। इस वजह से अब चीन से आयातित मूर्तियों की मांग में कमी आई है, क्योंकि सस्ती और आकर्षक होने के बावजूद गुड़वत्ता में वे नहीं ठहरतीं। सुभाष नगर, मेरठ के मूर्ति कारोबारी पारस ग्रीटिंग्स एंड गिफ्ट्स के मनोज जैन ने कहा कि हमारे यहां बनी मूर्तियां सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अन्य इलाकों में भी भेजी जा रही हैं। जैन ने कहा कि मूर्तियों का कारोबार कोई बहुत बड़ा नहीं है। छोटी-छोटी इकाइयों में यह बनती हैं। ऐसे में जरूरत है कि सरकार इस बारे में कुछ सहयोग करे।

जैन कहते हैं, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रौद्योगिकी की दृष्टि से चीन हम से काफी मजबूत स्थिति में है। कुछ साल पहले तक जरूर मेरठ चीन से मुकाबला नहीं कर पा रहा था, लेकिन अब मेरठ के लोगों ने भी चीन की तकनीक को सीख लिया है। हमें यदि और बेहतर प्रौद्योगिकी मिल जाए, तो हम चीन से आधी कीमत पर मूर्तियां बना सकते हैं।’

कनफेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स के सचिव सौरभ बवेजा कहते हैं कि मुख्य रूप से बाजार में लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियों की मांग है। इसके अलावा खरीदार हनुमानजी, शिव पार्वती, राम दरबार, ब्रमा-विष्णु-महेश और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों की भी मांग करते हैं। सौरभ कहते हैं कि अब लोग सिर्फ देश में बनी मूर्तियों से ही दिवाली पूजन करना चाहते हैं। सौरभ के मुताबिक इस बार मूर्तियों पर भी जीएसटी लगा है। पहले मूर्तियों पर जीएसटी की दर 28 प्रतिशत कर दी गयी थी, जिसे बाद में घटाकर 12 प्रतिशत किया गया है। इससे मूर्तियों के दाम में हल्की बढ़ोतरी हुई है।

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