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मालदीव संकट के मद्देनजर भारत ने अपनी सेना को तैयार रहने का दिया संकेत

सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के एक प्रमुख एयरबेस पर सैनिकों की गतिविधियां देखी जा रही हैं। भारतीय नौसेना मालदीव के चारों ओर के समुद्री लेनों में गश्त करती है, क्योंकि दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग अच्छे हैं।

Reported by: Bhasha
Published : February 07, 2018 10:17 IST
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मालदीव संकट के मद्देनजर भारत ने अपनी सेना को तैयार रखने का दिया संकेत

नयी दिल्ली: मालदीव की सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जारी टकराव के कारण वहां पैदा हुए संकट के बीच भारत सरकार के सूत्रों ने संकेत दिए कि भारत इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन कर सकता है, जिसमें सेना को तैयार रखना शामिल है। मालदीव के हालात देखकर ‘‘परेशान’’ भारत एसओपी के तहत पहले ही यात्रा परामर्श जारी कर चुका है, लेकिन अधिकारियों ने सेना को तैयार रखने से जुड़े अहम पहलू की पुष्टि नहीं की थी। सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के एक प्रमुख एयरबेस पर सैनिकों की गतिविधियां देखी जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि एसओपी के मुताबिक, किसी आकस्मिक स्थिति या संकट से निपटने के लिए सैनिकों को पूरी तरह तैयार रखा जाता है। ऐसे एसओपी में कुछ भी असामान्य नहीं होता। गौरतलब है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अपने देश का संकट सुलझाने के लिए भारत से राजनयिक एवं सैन्य दखल देने की अपील की है। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने देश में आपातकाल लागू कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट के जजों को गिरफ्तार कर लिया है। भारतीय नौसेना मालदीव के चारों ओर के समुद्री लेनों में गश्त करती है, क्योंकि दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग अच्छे हैं।

भारत ने अपने नागरिकों से कहा था कि वे अगली सूचना तक मालदीव की गैर-जरूरी यात्राएं नहीं करें। एक परामर्श में विदेश मंत्रालय ने मालदीव में रह रहे भारतीयों से भी कहा कि वे वहां अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति नशीद को 2012 में अपदस्थ करने के बाद इस देश ने कई राजनीतिक संकट देखे हैं। बीते गुरूवार को मालदीव में उस वक्त बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद नौ नेताओं को रिहा करने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन कैदियों पर चलाया जा रहा मुकदमा ‘‘राजनीतिक तौर पर प्रेरित और दोषपूर्ण’’ है। इन नौ नेताओं में नशीद भी शामिल हैं।

यमीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल से इनकार कर दिया, जिसके बाद राजधानी माले में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश अली हमीद को राष्ट्रपति की ओर से आपातकाल की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ किसी जांच या किसी आरोप की जानकारी भी नहीं दी गई। विपक्ष का समर्थन कर रहे पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को भी उनके आवास पर हिरासत में ले लिया गया।

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