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नागरिकों की संवेदनशील सूचना की रक्षा के लिये मजबूत कानून की जरूरत : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि नागरिकों की संवेदनशील सूचनाओं की रक्षा के लिये‘ मजबूत’ कानून की जरूरत है। कोर्ट ने UIDAI से आधार के प्रमाणन में शामिल निजी कंपनियों के इसे बेचने से रोकने के लिये सुरक्षा उपायों के बारे में पूछा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 27, 2018 23:39 IST
supreme court- India TV Hindi
Image Source : PTI supreme court

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि नागरिकों की संवेदनशील सूचनाओं की रक्षा के लिये‘ मजबूत’ कानून की जरूरत है। कोर्ट ने UIDAI से आधार के प्रमाणन में शामिल निजी कंपनियों के इसे बेचने से रोकने के लिये सुरक्षा उपायों के बारे में पूछा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय से आधार के प्रमाणन के दौरान निजी कंपनियों को वाणिज्यिक फायदे के लिये नागरिकों की संवेदनशील सूचना बेचने से रोकने के लिये किये गए सुरक्षा उपायों के बारे में पूछा। 

पीठ ने UIDAI के सीईओ से कहा, ‘‘ प्रमाणन के दो भाग हैं। आप कहते हैं कि आप प्रमाणन का उद्देश्य नहीं जानते हैं और आपके (UIDAI) पास डाटा सुरक्षित हैं। एयूए एक निजी कंपनी हो सकती है और एयूए संवेदनशील सूचना बेच देती है तो आपके पास क्या सुरक्षा उपाय हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ नागरिकों के डाटा की रक्षा के लिये एक मजबूत कानून बनाएं। ऐसा कोई कानून भारत में नहीं है।’’ 

पीठ में जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविल्कर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं। ऑथेंटिकेशन यूजर एजेंसी( एयूए)  एक कंपनी है जो प्रमाणन का इस्तेमाल करके आधार नंबर धारकों को आधार से जुड़ी सेवाएं प्रदान करती है। इसकी सेवाएं भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने ली हैं। 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान एक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि वह एक पिज्जा चेन से नियमित पिज्जा का ऑर्डर देते हैं और अगर वह चेन इस सूचना को स्वास्थ्य बीमा कंपनी से साझा करती है तो इसका कुछ प्रभाव होगा क्योंकि जीवनशैली महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।’’ जज ने कहा, ‘‘ यह वाणिज्यिक रूप से संवेदनशील सूचना है।’’ 

उन्होंने कहा कि अगर सीआईडीआर( यूआईडीएआई का डाटा भंडार)  पूरी तरह सुरक्षित भी हो तो दूसरों के खिलाफ प्रवर्तनीय सुरक्षा नहीं है। सीईओ ने कहा कि आधार अधिनियम के तहत इस तरह की सूचना को साझा करना प्रतिबंधित है। हालांकि, निजी कंपनियों द्वारा इस तरह की सूचना के साझा करने पर कोई नियंत्रण नहीं है। 

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