Monday, April 29, 2024
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एक 'चाबी' से खुला था 1993 के मुंबई ब्लास्ट का रहस्य, पढ़ें आरोपियों के पकड़े जाने का किस्सा

मुंबई पुलिस ने 4 नवंबर 1993 को मुंबई की कोर्ट में 10 हजार से अधिक पन्नो का आरोपपत्र दाखिल किया। इसके बाद केस सीबीआई के पास पहुंचा। धमाकों के आरोप में 100 से अधिक लोगों को दोषी पाया गया।

Subhash Kumar Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: March 12, 2024 11:21 IST
1993 मुंबई धमाके।- India TV Hindi
Image Source : AP 1993 मुंबई धमाके।

12 मार्च ही वह तारीख है जब देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक के बाद एक 12 बम धमाकों से दहल उठी थी। इन धमाकों में कुल 257 लोगों की जान गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। हालांकि, शहर में कई अन्य जगहों पर भी बम रखे गए थे लेकिन वह ब्लास्ट नहीं हुए वरना नुकसान और अधिक हो सकता था। इन ब्लास्ट के पीछे की साजिश का खुलासा करने की जिम्मेदारी मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और तत्कालीन ट्रैफिक डीसीपी राकेश मारिया को दी गई थी। उन्होंने अपनी किताब 'LET ME SAY IT NOW' में इन धमाकों से जुड़े कई खुलासे किए हैं। 

स्कूटर से हुई कड़ी की शुरुआत

बंबई में धमाकों की दहशत के बीच एक डॉक्टर को अपने क्लिनिक के बाहर एक लावारिस स्कूटर मिला। उन्होंने पुलिस को खबर की जिसके बाद इस स्कूटर में बम पाया गया और माटुंगा पुलिस की मदद से इसे डिफ्यूज किया गया। इस दौरान राकेश मारिया भी ट्रैफिक को डायवर्ट और बैरिकेड लगवाने वहां पहुंचे। बम डिफ्यूज होने के बाद स्कूटर को माटुंगा पुलिस स्टेशन में पार्क करवाया गया। 

मारिया को मिली जांच की जिम्मेदारी

राकेश मारिया ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्हें खबर मिली कि मुंबई पुलिस कमीश्नर उनसे मिलना चाहते हैं। मुलाकात में अधिकारियों ने मारिया से धमाकों के बारे में चर्चा की और जांच की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी। मारिया को अपनी पसंद की टीम चुनने का भी अधिकार दिया गया। इसके बाद जब मारिया ने जांच शुरू की तो उन्हें वरली में एक लावारिस वैन के बारे में पता चला जिसमें एके-56 राइफल्स, 14 मैग्जींस, पिस्टल, हैंडग्रेनेड आदि का जखीरा पड़ा हुआ था। 

ऐसे मिला टाइगर मेमन का सुराग

जब पुलिस टीम मने लावारिस वैन के बारे में सुराग जुटाया तो ये गाड़ी अल-हुसैनी बिल्डिंग की रूबीना सुलेमान मेमन के नाम पर मिला। इसके बाद राकेश मारिया ने ये पता लगवाया कि इस बिल्डिंग में मेमन परिवार कौन है। इसके बाद पुलिस को टाइगर मेमन के बारे में पता लगा। पुलिस को मालूम चला की टाइगर काफी बड़ा स्मगलर है और उसके तार अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े हुए हैं। 

एक चाबी से खुला धमाकों का रहस्य

पुलिस जब अल-हुसैनी बिल्डिंग में पहुंची तो यहां घर का दरवाजा बंद मिला। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर एंट्री की। यहां पर पुलिस टीम को एक गुच्छे में उन्हें एक बजाज स्कूटर की चाबी मिली। इस चाबी पर 449 लिखा था। राकेश मारिया ने ये चाबी अपने पुलिस अधिकारी को देकर इसे माटुंगा पुलिस स्टेशन में पड़े स्कूटर से मिलाने को कहा। आखिरकार ये चाबी उसी स्कूटर की निकली। जांच टीम को समझ आ गया कि धमाकों के पीछे टाइगर मेमन और उसके गिरोह का हाथ है। 

100 से ज्यादा आरोपियों को सजा

मामले में आगे जांच करते हुए एक-एक कर के साजिशकर्ताओं के नाम सामने आते गए। पुलिस ने 4 नवंबर 1993 को मुंबई की कोर्ट में 10 हजार से अधिक पन्नो का आरोपपत्र दाखिल किया। इसके बाद केस सीबीआई के पास पहुंचा। इसी क्रम में टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन, मुस्तफा दोसा, अबू सलेम आदि की गिरफ्तारी हुई। मुंबई धमाकों के आरोप में 100 से अधिक लोगों को दोषी पाया गया। धमाके के करीब 22 साल बाद याकूब मेनन को फांसी की सजा हुई। वहीं, मुंबई धमाके के मुख्य आरोपी टाइगर मेनन और दाऊद इब्राहिम आज भी फरार है। 

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