Sunday, April 28, 2024
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Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ यात्रा को मुस्लिम गड़रिए बूटा मलिक से जोड़ कर देखना कितना उचित है? क्या है पूरा सच

Amarnath Yatra 2022: हमें आज तक बताया गया था कि अमरनाथ गुफा की खोज 1850 में हुई थी, जबकि इस पवित्र गुफा और महादेव के हिमलिंग स्वरूप का जिक्र 5वीं शताब्दी में लिखे गए पुराणों से लेकर, 1148 में लिखी गई राजतरंगणि में भी मिलता है।

Sushmit Sinha Written By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Updated on: July 13, 2022 12:23 IST
 Amarnath Cave - India TV Hindi
Image Source : ANI Amarnath Cave

Highlights

  • क्या है अमरनाथ गुफा का सच
  • अमरनाथ गुफा को क्या सच में बूटा मलिक ने खोजा था?
  • सदियों से होती आ रही है अमरनाथ यात्रा

Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ यात्रा, भारत में करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है। हर साल बेहद कठिन और पथरिली चोटियों को पार कर भक्त महादेव के हिमस्वरूप (हिमलिंग) के दर्शन करने अमरनाथ की गुफा तक पहुंचते हैं। मैं भी इस यात्रा का हिस्सा रह चुका हूं। इसलिए अपने अनुभव से कह सकता हूं कि आप जब यात्रा में आने वाली तमाम कठिनाईयों को पार कर महादेव के सामने खुद को खड़ा पाते हैं, तो लगता है बस यही मोक्ष है। यहीं जीवन थम जाना चाहिए। आज ये सब बाते मैं आपसे इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि सोशल मीडिया पर एक बात ट्रेंड हो रही है कि अमरनाथ यात्रा का सच क्या है? तो चलिए आज आपको सच से अवगत कराते हैं।

हमने बचपन से सुना है कि अमरनाथ गुफा की खोज 1850 में एक मुस्लिम गड़रिए बूटा मलिक ने की थी। यानि सबसे पहला दर्शन बूटा मलिक को ही मिला और इसके बाद पूरी दुनिया को पता चला कि सुदूर पर्वतों के पार एक गुफा है जिसमें महादेव हिमलिंग में अवतरित हुए हैं। हालांकि, भगवान शिव हिमालय में निवास करते हैं, यह बात सदियों से हमारे धर्मग्रंथों और पुराणों में लिखी हुई है। खैर, बात यहां यह है कि क्या वाकई अमरनाथ गुफा की खोज 1850 में हुई थी या उससे पहले इस गुफा के बारे में लोग जानते थे और वहां दर्शन करने जाते थे। 

अमरनाथ गुफा का जिक्र कहां-कहां है

हमें आज तक बताया गया था कि अमरनाथ गुफा की खोज 1850 में हुई थी, जबकि इस पवित्र गुफा और महादेव के हिमलिंग स्वरूप का जिक्र 5वीं शताब्दी में लिखे गए पुराणों से लेकर, 1148 में लिखी गई राजतरंगणि में भी मिलता है। इसमें अमरनाथ को अमरेश्वरनाथ कहा गया है। इस ग्रंथ के मुताबिक 11वीं सदी में रानी सूर्यमति ने अमरनाथ में त्रिशूल और दूसरे धार्मिक प्रतीक लगवाए थे। इसी ग्रंथ में यह भी लिखा है कि अमरनाथ कि यात्रा 12वीं सदी में भी अमरेश्वर की पवित्र यात्र के नाम से की जा रही थी। इसक ग्रंथ की रचना ऋषि कल्हण ने की थी। भृगु संहिता के दसवें अध्याय में अमरेश्वर महादेव यानि अमरनाथ का जिक्र है।

Amarnath GFX

Image Source : INDIA TV
Amarnath GFX

यहां तक कि 16वीं शताब्दी में लिखी गई आइन-ए-अकबरी में भी इसका जिक्र मिलता है। यहां तक कि 1850 से पहले कश्मीर के इतिहास पर लिखी सबसे प्राचीन पुस्तक नीलमत पुराण में भी इस पवित्र गुफा का जिक्र है। आयरलैंड के इतिहासकार विंसेट ऑर्थर ने जब 17वीं शताब्दी में लिखी एक फ्रेंच राइटर फ्रैंकोइस बर्नियर की किताब Travels in the Mogul Empire का अनुवाद किया था तो उसमें भी अमरनाथ की गुफा का जिक्र मिलता है। यहां तक की हिंदू धर्म के एक प्राचीन पुराण लिंग पुराण में भी इस पवित्र गुफा का जिक्र मिलता है। इसके 12वें अध्याय में एक श्लोक है जिसमें पवित्र गुफा अमरनाथ के बारे में जिक्र है। इस श्लोक में अमरनाथ की गुफा को अमरेश्वर महादेव के नाम से लिखा गया है।

अमरनाथ गुफा का नाम कैसे पड़ा

इतिहास में जिसे अमरेश्वर महादेव और बाद में अमरनाथ कहा गया। आखिर इसका नाम कैसे पड़ा? क्या इसका नाम भी बूटा मलिक ने ही रखा है जिसे लेकर यह कहा जाता है कि उसी ने इस गुफा की खोज की थी। शायद नहीं, क्योंकि इतिहास में और पुराणों में इस जगह को पहले से ही अमरेश्वरनाथ के नाम से वर्णित किया गया है। इस गुफा के नाम से जुड़ी एक कहानी प्रचलित है, जो हिंदू समाज में सदियों से सुनाई जाती है। कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती भगवान शिव से अमरकथा सुनने की जिद करने लगीं। लेकिन अमरकथा एक ऐसी शक्ति थी कि जो भी इसे सुन लेता वह अमर हो जाता।

माता पार्वती के बार-बार जिद करने पर महादेव ने कथा सुनाने के लिए हामी भर दी। लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि इसे सुनाया कहां जाए। इसे सुनाने के लिए एक ऐसी जगह चाहिए जहां कोई जीव मौजूद ना हो। फिर भगवान शिव ने इस गुफा का चयन किया और जब वह माता पार्वती को यह कथा सुना रहे थे तब वह कथा के बीच में ही सो गईं , लेकिन उस गुफा में दो कबूतरों का जोड़ा मौजूद था, जिसने यह कथा सुन लिया। कहा जाता है कि आज भी जो दो कबूतर उस गुफा में दिखाई देते हैं वह वही हैं जिन्होंने अमरकथा सुनी थी। इस गुफा में अमरकथा सुनाई गई थी, इसलिए इसे अमरनाथ की गुफा कहते हैं।

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