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आरोप! Amazon में कर्मचारियों को दिलाई गई कसम, 'जब तक काम पूरा न हो No टॉयलेट, No वाटर ब्रेक'

हरियाणा से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। यहां अमेजन कंपनी पर आरोप लग रहे हैं कि उनके वेयरहाउस में काम करने वाले कर्मचारियों को टारगेट को लेकर मजबूर किया जाता है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jun 14, 2024 10:06 IST, Updated : Jun 14, 2024 10:30 IST
amazone- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA प्रतिकात्मक फोटो

अमेजन कंपनी के वेयरहाउस को लेकर अजब खबर सामने आ रही है। यहां 16 मई को एक 24 साल की वर्कर से 30 मिनट के टी ब्रेक के बाद एक कसम लेने के लिए कहा गया कि वह जब तक 6 ट्रक से सामान नहीं उतार देंगे, तब तक वह टॉयलट व पानी तक नहीं पियेंगे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये घटना हरियाणा के मानेसर स्थित 5 में से एक वेयर हाउस में घटी है। 24 वर्षीय वर्कर ने कहा, "भले ही हम बिना किसी ब्रेक के काम करें, जिसमें लंच और चाय ब्रेक भी शामिल हैं जो 30-30 मिनट के हैं, हम एक दिन में चार ट्रकों से अधिक सामान नहीं उतार सकते।" 

कर्मचारी ने लगाए आरोप

वर्कर ने आगे कहा, "सिर्फ दो दिन पहले, हमने यह कसम ली थी कि हम परफॉर्मेंस सुधारने और लक्ष्य हासिल करने के लिए पानी और शौचालय के लिए ब्रेक नहीं लेंगे।" उसने आगे कहा कि सीनियर कर्मचारी समय-समय पर यह भी चेक करते हैं कि कोई शौचालय और अन्य जगहों पर फिजूल समय तो नहीं बिता रहा है। "इस व्यवस्था से सबसे ज़्यादा प्रभावित महिलाएँ हैं। चूकिं ट्रक बाहर खड़े होने की वजह से वे गर्म हो जाते हैं फिर महिलाएं सामान उतारती हैं, इस कारण वे जल्दी थक जाती हैं।"  बता दें कि वर्कर को हफ्ते में 5 दिन और प्रतिदिन 10 घंटे काम करने होते हैं, साथ ही वर्कर को 10,088 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है।

हर दिन दिलाई जाती है शपथ

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, पिछले महीने में, इस गोदाम में “इनबाउंड टीम” ने करीब 8 बार शपथ ली है, खासकर बिजी दिनों में जब काम का बोझ ज़्यादा होता है। कर्मचारी ने आगे बताया कि शपथ लेने वाली “आउटबाउंड टीम” को हर दिन उनके टारगेट याद दिलाए जाते हैं। आउटबाउंड टीम गोदाम से बाहर शिफ्ट/शिप किए जाने वाले सामानों की देखभाल करती है, जबकि इनबाउंड टीम अन्य सोर्सों से मिले सामानों से निपटती है।

नहीं है कोई रेस्टरूम

मानेसर गोदाम में काम करने वाली एक महिला ने बताया कि यहां परिसर में कोई रेस्टरूम नहीं है। उसने दावा किया, "अगर हम बीमार हैं, तो हमारे पास वॉशरूम या लॉकर रूम में जाने का ही विकल्प है। एक बिस्तर के साथ एक बीमार कमरा है, लेकिन यहां कर्मचारियों को 10 मिनट के बाद जाने के लिए कहा जाता है।" उसके विभाग ग्राहक रिटर्न ने भी यही शपथ ली। उसने शपथ दोहराते हुए कहा, "मेरे बाद कहो, हम लक्ष्य हासिल करेंगे, हम वॉशरूम नहीं जाएंगे, हम शराब नहीं पीएंगे।"

उसने आरोप लगाया कि एक बार जब वह शौचालय में आराम करते हुए पकड़ी गई, तो सुपरवाइजर ने उसके आईडी कार्ड की तस्वीर ले ली और उसे ब्लॉक करने की धमकी दी। इस महिला कर्मचारी, को हर महीने 10,088 रुपये दिए जाते हैं। महिला ने कहा, "मैं दिन में 9 घंटे खड़ी रहती हूं, और मुझे हर घंटे 60 छोटे प्रोडक्ट या 40 मीडियम साइज के प्रोडक्ट को देखना पड़ता हैं।"

अमेज़न इंडिया के प्रवक्ता ने दी सफाई

इस बारे में पूछे जाने पर अमेज़न इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, "हम इन दावों की जांच कर रहे हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से कहें तो हम अपने कर्मचारियों से इस तरह के काम करने को कभी नहीं कहेंगे। अगर हमें ऐसी कोई घटना पता चलती है, जैसा कि आरोप लगाया गया है, तो हम तुरंत इसे रोकेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इसमें शामिल मैनेजर को फिर से ट्रेनिंग दी जाए। हम अपनी अभी जांच जारी रखेंगे।"

पहले भी लग चुके आरोप

ये कोई पहली बार नहीं है जब अमेज़न कंपनी पर ऐसे आरोप लगा रहे, इससे पहले विदेशों में भी इस तरह के आरोप अमेजन पर लग चुके हैं। द गार्जियन की रिपोर्ट की मानें तो, अमेरिका में व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन ने 2022 और 2023 में कंपनी के खिलाफ अनसेफ वर्किंग कंडीशन, एर्गोनोमिक खतरों और 6 गोदामों में चोटों की ठीक से रिपोर्ट न करने के लिए नोटिस जारी किए गए थे।

मजदूर यूनियन ने भी लगाए आरोप

देश के मजदूर यूनियन ने भी कंपनी पर आरोप लगाया कि मानेसर और उसके आसपास चल रहे 5 गोदामों में फैक्ट्री एक्ट, 1948 के नियमों का उल्लंघन होता है। चूँकि हरियाणा ने अपने वर्किंग ऑवर को हर दिन में 10 घंटे से कम कर दिया है, इसलिए अब कंपनी के कर्मचारी सुबह 8.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक काम करते हैं। एक्ट के अनुसार, यदि कोई फैक्ट्री कर्मचारी प्रतिदिन 9 घंटे से अधिक या सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करता है, तो उसे अपने सामान्य वेतन से दोगुना वेतन पाने का अधिकार है। हालाँकि, श्रमिक अधिकार समूहों का दावा है कि यह पूरा नहीं किया जा रहा है। एक्ट में रेस्ट करने के लिए इंटरवल भी तय किया गया है, जिसके मुताबिक, “कोई भी कर्मचारी कम से कम आधे घंटे का इंटरवल मिलने से पहले 5 घंटे से अधिक काम नहीं करेगा।”

हरियाणा, दिल्ली के मुकाबले सस्ता 

अमेज़न इंडिया वर्कर्स एसोसिएशन के संयोजक धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि दिल्ली में ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हरियाणा में फैक्ट्री और वेयरहाउस कंपनी की लागत को कम करने में मदद करते हैं। उसने कहा, "दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी 21,000-23,000 रुपये है जबकि हरियाणा में यह 11,000-13,000 रुपये है। ये टारगेट फ़ैक्टरी एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है। लेबर इंस्पेक्टर कंपनी से इसे सुधारने के लिए कह सकते हैं, लेकिन ये होना मुश्किल है।" उन्होंने कहा कि यूनियन न होने से श्रमिकों के लिए ये मुश्किलें पैदा होती हैं।

प्रवक्ता ने दी ये सफाई

अमेज़न के प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई कंपनी की प्राथमिकता है। आगे कहा, "हमारी सभी बिल्डिंग में हीट इंडेक्स मॉनिटरिंग डिवाइस हैं और हम लगातार तापमान में होने वाले बदलावों पर नज़र रखते हैं, खास तौर पर गर्मियों के महीनों में। अगर हमें अपनी बिल्डिंग के अंदर बढ़ती गर्मी या नमी मिलती है, तो हमारी टीमें आरामदायक कामकाजी माहौल देने की कोशिश करती है, जिसमें थोड़ी देर के लिए काम बंद कर देना भी शामिल है। हमारे पास वेंटिलेशन सिस्टम, पंखे और स्पॉट कूलर सहित सभी बिल्डिंगों में कूलिंग करने के मशीनें लगी हैं। हम पानी और हाइड्रेशन का भी ध्यान रखते हैं, साथ ही आराम के लिए छुट्टी भी देते हैं। कर्मचारी अपनी शिफ्ट के दौरान छुट्टी लेने के लिए स्वतंत्र हैं, ताकि वे शौचालय का उपयोग कर सकें, पानी ले सकें या मैनेजर या एचआर से बात कर सकें।"

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