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'जब भी जाति या धर्म के नाम पर...', कांवड़ रूट पर नेमप्लेट वाले आदेश का चिराग पासवान ने किया विरोध

लोकसभा के लिए तीसरी बार चुने गए चिराग पासवान ने खुद को 21वीं सदी का एक शिक्षित युवा बताया, जिसकी लड़ाई जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ है। पासवान ने अपने गृह राज्य बिहार के पिछड़ेपन के लिए इन कारकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jul 19, 2024 16:37 IST, Updated : Jul 19, 2024 16:37 IST
chirag paswan- India TV Hindi
Image Source : PTI चिराग पासवान

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री और भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कांवड़ रूट पर भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध करते हुए कहा है कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमत हैं, पासवान ने कहा, ‘‘नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनका मानना ​​है कि समाज में अमीर और गरीब दो श्रेणियों के लोग मौजूद हैं तथा विभिन्न जातियों एवं धर्मों के व्यक्ति इन दोनों ही श्रेणियों में आते हैं।

चिराग ने मुजफ्फरनगर पुलिस को दिया साफ संदेश

उनसे पहले भाजपा की दो अन्य सहयोगी पार्टियां जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय लोक दल भी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध कर चुकी हैं। पासवान ने कहा, ‘‘हमें इन दोनों वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं। समाज में सभी लोग हैं। हमें उनके लिए काम करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभेद होता है, तो मैं न तो इसका समर्थन करता हूं और न ही इसे प्रोत्साहित करता हूं। मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है।’’

'जातिवाद एवं सांप्रदायिकता ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया'

लोकसभा के लिए तीसरी बार चुने गए 41 वर्षीय पासवान ने खुद को 21वीं सदी का एक शिक्षित युवा बताया, जिसकी लड़ाई जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ है। पासवान ने अपने गृह राज्य बिहार के पिछड़ेपन के लिए इन कारकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जातिवाद एवं सांप्रदायिकता ने बिहार को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि वह सार्वजनिक रूप से बोलने का साहस रखते हैं, क्योंकि वह इन चीजों पर विश्वास नहीं करते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राजग में शामिल जनता दल (यूनाइटेड) भी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश की आलोचना कर चुका है।

यूपी सरकार के आदेश पर मचा सियासी बवाल

जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, ‘‘यह फरमान प्रधानमंत्री मोदी की ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ वाली अवधारणा के विरूद्ध है। इससे सांप्रदायिक विभाजन होता है।’’ रालोद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामाशीष राय ने आदेश का विरोध करते हुए कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है। प्रशासन इसे वापस ले, यह असंवैधानिक निर्णय है।’’

कांग्रेस ने इस आदेश की निंदा करते हुए इसे ‘‘भारत की संस्कृति पर हमला’’ बताया और आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार को बढ़ावा देना है। केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने इस कदम का बचाव करते हुए दावा किया है कि यह उपवास करने वाले हिंदुओं की सुविधा के लिए है, जो शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां में खाना चाहते हैं, जहां उन्हें ‘सात्विक’ भोजन परोसे जाने की संभावना अधिक हो। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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