Sunday, April 28, 2024
Advertisement

कारगिल युद्ध के नायक विक्रम बत्रा की मां का हुआ निधन, 2014 में लड़ी थीं लोकसभा चुनाव

कारगिल युद्ध के हीरो रहे परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की मां कमलकांत बत्रा का निधन हो गया। वह 77 साल की थीं। उन्हें हार्ट अटैक आया था।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: February 15, 2024 13:16 IST
कारगिल युद्ध के वीर कैप्टन विक्रम बत्रा की मां का निधन- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कारगिल युद्ध के वीर कैप्टन विक्रम बत्रा की मां का निधन

आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता और कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की मां कमलकांत बत्रा का बुधवार को निधन हो गया। वह 77 साल की थीं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर में अंतिम सांस ली। उन्हें हर्ट अटैक आया था। कमलकांत बत्रा ने साल 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। उन्होंने आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा था। हालांकि, चुनाव में उन्हें हार मिली। बाद में उन्होंने 'आप' से इस्तीफा दे दिया।

हिमाचल के सीएम ने जताया शोक

कमलकांत बत्रा के निधन पर हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा जी की माता श्रीमती कमलकांत बत्रा जी के निधन की दु:खद सूचना मिली। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माता जी को श्रीचरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिवार को अपार दुःख सहने की क्षमता दें। ॐ शांति!"

कौन थे कैप्टन विक्रम बत्रा?

विक्रम बत्रा 24 साल की उम्र में 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। दिवंगत कैप्टन को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्हें कारगिल जंग के दौरान "शेरशाह" नाम दिया गया था। कारगिल युद्ध की सबसे मुश्किल चुनौतियों में शुमार 18,000 फीट की ऊंचाई पर प्वाइंट 4875 के लिए मोर्चा संभालना लोहे के चने चबाने जैसा था। ऊपर चढ़ने की संकरी जगह और ठीक सामने दुश्मन की ऐसी पोजीशन पर होना जहां से आसानी से वो आपको अपना निशाना बना सकता है। इन सब मुश्किलों के बाद भी कैप्टन विक्रम बत्रा के कदमों को दुश्मन रोक नहीं पाए थे। दुश्मन के मोर्चे पर धावा बोलकर कैप्टन विक्रम बत्रा ने पहले हैंड टू हैंड फाइट की और उसके बाद प्वाइंट ब्लैक रेंज से दुश्मन के 5 सैनिकों को मिट्टी में मिला दिया। गहरे जख्म होने के बाद भी बत्रा नहीं रुके, वो क्रॉलिंग करते हुए दुश्मन के करीब तक पहुंचे और ग्रेनेड फेंकते हुए पोजीशन को क्लियर कर दिया। दुश्मन की गोली से विक्रम बत्रा शहीद हो गए। बाद में उनकी टीम ने प्वाइंट 4875 को वापस कब्जाने का लक्ष्य हासिल कर लिया। आज भी प्वाइंट 4875 को बत्रा टॉप के नाम से जाना जाता है।

ये भी पढ़ें-

दिल्ली मेट्रो ने तोड़े रिकॉर्ड, किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के पहले दिन 71 लाख से ज्यादा लोगों ने की यात्रा

कुपवाड़ा में बड़ा हादसा, फिसलकर गहरी खाई में गिरी महिला और उसका बच्चा, दर्दनाक मौत

कोझिकोड में बवाल, स्कूल में चल रहे गणपति हवन को CPM समर्थकों ने रुकवाया- VIDEO

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement