Friday, April 26, 2024
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Karnataka News: पानी पर 'पहरा' लगाएगा कर्नाटक, बेजा उपयोग पर लग सकता है जुर्माना, कम बारिश से 61% इलाका सूखा

Karnataka News: कर्नाटक पिछले दो दशक में 15 वर्षों से अधिक समय तक सूखे से ग्रस्त रहा है। ऐसे में भविष्य में राज्य के लिए हालात और चुनौतीपूर्ण होने की आशंका है।

Deepak Vyas Edited By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: August 21, 2022 12:49 IST
Water Crisis in Karnataka- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Water Crisis in Karnataka

Highlights

  • 15 वर्षों से अधिक समय तक सूखे से ग्रस्त है कर्नाटक
  • राज्य का 61 फीसदी इलाका सूखे से प्रभावित
  • कर्नाटक में लंबे समय तक गर्मी और कम बारिश के आसार: रिसर्च

कर्नाटक में जल संकट के कारण हालात बुरे हैं। यह राज्य पानी की समस्या से जूझ रहा है। यहां का करीब 61 फीसदी इलाका सूख प्रभावित क्षेत्रों में आता है।  राज्य की जल नीति 2022 में आगाह किया गया है कि आने वाले वक्त में बारिश में कमी आएगी और सूखा प्रभावित क्षेत्र बढ़ेंगे, जो गंभीर चिंता का विषय है। कर्नाटक पिछले दो दशक में 15 वर्षों से अधिक समय तक सूखे से ग्रस्त रहा है। ऐसे में भविष्य में राज्य के लिए हालात और चुनौतीपूर्ण होने की आशंका है, क्योंकि विभिन्न परियोजनाओं के लिए पानी की मांग बढ़ेगी और भूजल का स्तर पहले से ही घट रहा है।

पानी के बेजा इस्तेमाल लगाया जाएगा जुर्माना

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चुनौती से निपटने के लिए जल नीति में कई पहलों का जिक्र किया गया है, जिनमें पानी के बेजा इस्तेमाल पर जुर्माना लगाना और भूजल निकालने पर रोक आदि शामिल हैं। इन प्रस्तावों का मकसद जल संसाधन प्रबंधन को मजबूत करना और राज्य के सीमित जल संसाधन का सबसे अच्छा इस्तेमाल हो, यह सुनिश्चित करना है। राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस नीति को मंजूरी दी है।

कर्नाटक में लंबे समय तक गर्मी और कम बारिश के आसार: रिसर्च

नीति में कहा गया है, ‘कर्नाटक के जलवायु परिवर्तन अध्ययनों ने संकेत दिया है कि राज्य में लंबे समय तक गर्मी रहने और वर्षा बेहद कम होने के आसार हैं। ऐसे में सूखा प्रभावित क्षेत्र बढ़ेगा।’ इसमें कहा गया है, ‘खरीफ के मौसम में उत्तर के अधिकतर जिलों में सूखे की घटनाओं में 10 से 80 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। वहीं, कुछ जिलों में सूखे की घटनाएं लगभग दोगुनी हो सकती हैं। भारी वर्षा के कारण प्रत्येक वर्ष बाढ़ आना सामान्य बात होती जा रही है।

गौरतलब है कि कर्नाटक ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में पिछले कई दशकों से लगातार वर्षा में गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे भूमिगत जल का स्तर भी घटता जा रहा है। जबकि देश में पानी की खपत बहुत अधिक है। अंतरराष्ट्रीय सर्वे रिपोर्टों के मुताबिक चीन और अमेरिका मिलकर जितने पानी का इस्तेमाल करते हैं। भारत उससे काफी अधिक मात्रा में पानी अकेले खर्च करता है। हालांकि भारत में दुनिया की 18 फीसद आबादी भी निवास करती है। जल की खपत अधिक होने की यह भी प्रमुख वजह है। इसके अलावा पिछले करीब 82 वर्षों से मानसून का मंद रहना भी भूमिगत जल में गिरावट होने की मुख्य वजह है। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 10 फीसद से अधिक वर्षा जल में कमी आई है। जो कि जल संकट बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। 

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