Friday, March 29, 2024
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Republic Day 2023 : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संदेश, कहा-हमें अपनी जीवन शैली को बदलने की जरूरत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमें प्राचीन परम्पराओं को नई दृष्टि से देखना होगा। हमें अपनी मूलभूत प्राथमिकताओं पर भी पुनर्विचार करना होगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited By: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 25, 2023 20:08 IST
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू- India TV Hindi
Image Source : TWITTER राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू का यह पहला भाषण था। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमें प्राचीन परम्पराओं को नई दृष्टि से देखना होगा और अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर सुखमय जीवन बिताएं तो हमें अपनी जीवन शैली को बदलने की जरूरत है।

उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा-चौहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं। जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं।

पंथों और भाषाओं ने हमें जोड़ा है

हम सब एक ही हैं, और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है। भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा-'पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई। सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।'

महिला सश्क्तीकरण का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा-'महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी।'

राष्ट्रपति ने कहा-' इस वर्ष भारत G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व-बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप, हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। G-20 की अध्यक्षता एक बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।'उन्होंने कहा,'मेरे विचार से, ग्लोबल वर्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना शीघ्रता से करना है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं।'

जवानों, किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सराहना

मैं उन बहादुर जवानों की विशेष रूप से सराहना करती हूं जो सीमाओं की रक्षा करते हैं और किसी भी त्याग तथा बलिदान के लिए सदैव तैयार रहते हैं। देशवासियों को आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले अर्ध-सैनिक बलों तथा पुलिस-बलों के बहादुर जवानों की मैं सराहना करती हूं। मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना करती हूं जिनकी सामूहिक शक्ति हमारे देश को "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान" की भावना के अनुरूप आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है।

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