Wednesday, May 15, 2024
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बेंगलुरु के इतिहास में दूसरा सबसे गर्म दिन, पारा पहुंचा 38.2 डिग्री सेल्सियस; लोग हुए बेहाल

देश में कई जगह गर्मी ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। इसी के मद्देनजर बेंगलुरु से एक खबर आ रही है कि बीते दिन आईटी राजधानी में दूसरी बार अब तक के इतिहास में इतना अधिक टेम्परेचर देखा गया है।

Shailendra Tiwari Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: April 29, 2024 7:37 IST
Bengaluru- India TV Hindi
Image Source : PTI बेंगलुरु के इतिहास में दर्ज हुआ दूसरा सबसे गर्म दिन

देश के कई हिस्सों में तापमान बढ़ गया है, लोग विकट गर्मी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में खबर आ रही है कि बेंगलुरु में रहने वाले लोग इतिहास में दूसरी बार सबसे ज्यादा गर्मी से जूझ रहे हैं। आईएमडी के मुताबिक, रविवार को शहर का टेम्परेचर 38.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इतिहास में दूसरा सबसे अधिक तापमान है। इससे पहले आईटी राजधानी में सबसे अधिक टेम्परेचर अप्रैल 2016 में दर्ज किया गया था, जब पारा 39.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।

2016 में दर्ज हुआ था इतना ज्यादा तापमान

आईएमडी ने आगे बताया कि बीते दिन रविवार को दर्ज किया गया तापमान सामान्य से 4.4 डिग्री ज्यादा था, और 1967 के टेम्परेचर डेटा का एनीलिसिस करने वाले एक्सपर्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि यह रविवार को शहर में दर्ज किया गया दूसरी बार सबसे अधिक तापमान था, इससे पहले साल 2016 में शहर का तापमान सबसे अधिक था।

IMD की मानें तो पिछले 24 घंटे में न्यूनतम तापमान 23.4 डिग्री रहा, जो सामान्य से भी करीब एक डिग्री ज्यादा है। साथ ही, इतिहास में पहली बार बेंगलुरु में लगातार सबसे ज्यादा गर्म दिन देखे गए। 10-15 दिनों से शहर में तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री अधिक दर्ज किया गया।

बारिश होने की संभावना

हालांकि, बेंगलुरु में आईएमडी के मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मई के दूसरे हफ्ते में बारिश होने की संभावना है, जिससे तापमान में थोड़ी गिरावट आ सकती है। लेकिन समुद्र तल से 3-5 किलोमीटर ऊपर एक असामान्य हाई प्रेशर एरिया देखा जा रहा है, इसलिए आगे गर्मी बढ़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जाता है।

एल नीनो के कारण हो रहे बदलाव

बता दें कि कर्नाटक में गर्म मौसम की स्थिति मुख्य रूप से एल नीनो (El Nino) प्रभाव में बढ़ोतरी के कारण है, जो एक क्लाइमेट पैटर्न है जो पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतह के पानी की असामान्य वार्मिंग की जानकारी देता है। El Nino दुनिया भर में सामान्य मौसम पैटर्न को रोकता करता है, जिससे बाढ़, सूखा और अन्य चरम मौसम की घटनाएं होती हैं।

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