Thursday, April 25, 2024
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Cases Pending in Court: अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले हैं लंबित, जानिए क्यों कहा कानून मंत्री ने की आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं अच्छे वकील

Cases Pending in Court: जब मैंने कानून मंत्री के रूप में पदभार संभाला था तब 4 करोड़ से कुछ कम मामले लंबित थे। आज यह 5 करोड़ के करीब है। यह हम सबके लिए बहुत चिंता का विषय है।

Reported By : PTI Edited By : Shailendra Tiwari Published on: July 09, 2022 21:35 IST
Minister of Law and Justice Kiren Rijiju- India TV Hindi
Image Source : PTI Minister of Law and Justice Kiren Rijiju

Highlights

  • कुछ साल पहले 4 करोड़ से कम मामले थे लंबित
  • "सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का ब्रिटेन में दिया जाता है रेफरेंस"
  • "हर दिन एक जज औसतन 40 से 50 मामलों की करता है सुनवाई"

Cases Pending in Court: कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि देश की अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं और इस सिलिसले में कोई कदम नहीं उठाया गया तो यह संख्या और बढ़ जाएगी। औरंगाबाद में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (MNLU) के पहले दीक्षांत समारोह में मंत्री ने आम लोगों को वकीलों की सेवा अफोर्डेबल रेट पर नहीं मिलने के बारे में भी चिंता व्यक्त की।

इंडियन ज्यूडिशरी की क्वालिटी दुनिया भर में है फेमस

उन्होंने कहा, "इंडियन ज्यूडिशरी की क्वालिटी दुनिया भर में फेमस है। दो दिन पहले मैं लंदन में था, जहां मैं ज्यूडिशरी से जुड़े लोगों से मिला। वे सभी भारतीय न्यायपालिका के लिए इसी तरह के विचार और बेहद सम्मान रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अक्सर ब्रिटेन में रेफरेंस दिया जाता है।" 

देश में लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए रीजिजू ने कहा, "जब मैंने कानून मंत्री के रूप में पदभार संभाला था तब 4 करोड़ से कुछ कम मामले लंबित थे। आज यह 5 करोड़ के करीब है। यह हम सबके लिए बहुत चिंता का विषय है।" कानून मंत्री ने कहा कि यह स्थिति न्याय प्रदान करने में किसी कमी या सरकार से समर्थन की कमी के कारण नहीं आई है, बल्कि यदि कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए तो लंबित मामलों में बढ़ोतरी होना तय है। 

"जजों पर लोग करते हैं व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी"

रीजिजू ने आगे कहा, "ब्रिटेन में एक न्यायाधीश एक दिन में अधिकतम 3 से 4 मामलों में निर्णय देते हैं। लेकिन, भारतीय अदालतों में एक न्यायाधीश औसतन प्रतिदिन 40 से 50 मामलों की सुनवाई करते हैं। अब मुझे एहसास हुआ कि वे ज्यादा समय बैठते हैं। लोग गुणवत्तापूर्ण फैसले की उम्मीद करते हैं। न्यायाधीश भी इंसान होते हैं।"

मीडिया में न्यायाधीशों के बारे में की जाने वाली टिप्पणियों का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा, "कभी-कभी, मैं न्यायाधीशों के बारे में सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में टिप्पणियां देखता हूं। यदि आप गौर करें कि एक न्यायाधीश को कितना काम करना होता है, तो यह अन्य सभी के लिए अकल्पनीय है। सोशल मीडिया के युग में मुद्दे की गहराई में जाए बिना हर किसी की अपनी राय होती है। लोग तुरंत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं और जजों पर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी करते हैं।"

गरीबों को अच्छे वकील की सेवा लेना होता है मुश्किल

रीजिजू ने वकीलों द्वारा ली जाने वाली फीस पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गरीब लोगों को अच्छे वकील की सेवा लेना मुश्किल होता है और यह किसी को न्याय से वंचित करने का कारण नहीं होना चाहिए। रीजिजू ने कहा, "मैं दिल्ली में ऐसे कई वकीलों को जानता हूं, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं। सिर्फ इसलिए कि किसी के पास सिस्टम तक बेहतर पहुंच है, उसकी फीस अधिक नहीं होनी चाहिए। सभी के लिए समान अवसर होना चाहिए।" मंत्री ने कहा कि संसद के आगामी मानसून सत्र में कुछ बदलावों के साथ एक मध्यस्थता विधेयक पारित कराया जाएगा और यह नए वकीलों के लिए अधिक अवसर लाएगा।

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