Monday, April 29, 2024
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पंकजा मुंडे BJP छोड़ शिवसेना में होंगी शामिल? ट्विटर प्रोफाइल बदलने से अटकलें तेज

पंकजा मुंडे के ट्विटर प्रोफाईल का यूजरनेम पहले पंकजा मुंडे बीजेपी था, लेकिन अब पंकजा ने अपने ट्विटर का यूजर नेम सिर्फ पंकजा मुंडे कर लिया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 02, 2019 11:25 IST
Pankaja Munde- India TV Hindi
Image Source : PANKAJA MUNDETWITTER Pankaja Munde

मुंबई। भाजपा नेता और महाराष्ट्र सरकार में पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं, पहले उन्होंने अपने समर्थकों को 12 दिसंबर के दिन गोपीनाथगढ़ आने का निमंत्रण दिया है और अब पंकजा ने ट्विटर पर अपने प्रोफाइल से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी जानकारी हटा दी है, पंकजा के इस कदम से ऐसा लग रहा है कि वह अपने राजनितिक भविष्य को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकती हैं और अटकलें इस बात की भी लगाई जा रही हैं कि वह भाजपा को छोड़ शिवसेना में शामिल हो सकती हैं।

पंकजा मुंडे के ट्विटर प्रोफाईल का यूजरनेम पहले पंकजा मुंडे बीजेपी था, लेकिन अब पंकजा ने अपने ट्विटर का यूजर नेम सिर्फ पंकजा मुंडे कर लिया है। पंकजा मुंडे को लेकर अटकलें हैं कि वह भारतीय जनता पार्टो को छोड़ शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। हालांकि शिवसेना सूत्रों के मुताबिक पंकजा मुंडे शिवसेना में शामिल होना चाहती हैं या नहीं इसका फैसला उन्हें ही करना है। शिवसेना सूत्रों के मुताबिक मातोश्री के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और शिवसेना अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पंकजा को अपनी बहन मानते हैं।

शिवसेना सूत्रों के मुताबिक की साल पहले पंकजा मुंडे के दिवंगत पिता और महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे भी भाजपा छोड़ शिवसेना में शामिल होना चाहते थे लेकिन उस समय बाला साबेह ठाकरे ने उन्हें ऐसा करने से रोका था।

पंकजा मुंडे ने रविवार को भी एक फेसबुक पोस्ट लिखा है उनके फेसबुक पोस्ट से भी ऐसा लग रहा है कि वह अपने राजनितिक भविष्य को लेकर कई बड़ा कदम उठाने के बारे में सोच रही हैं। पंकजा ने अपने समर्थकों को अपने दिवंगत पिता एवं पूर्व भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के मौके पर 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ आने का न्योता दिया है। गोपीनाथगढ़ बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है। पंकजा ने मराठी में लिखी फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सोचने और निर्णय लेने की आवश्यकता है कि आगे क्या किया जाए। मुझे स्वयं से बात करने के लिए आठ से 10 दिन की आवश्यकता है। मौजूदा राजनीतिक बदलावों की पृष्ठभूमि में भावी यात्रा पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब क्या करना है? कौन सा मार्ग चुनना है? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं पर विचार करूंगी और आपके सामने 12 दिसंबर को आऊंगी।’’ पंकजा को 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में अपने चचेरे भाई और राकांपा नेता धनन्जय मुंडे के हाथों बीड जिले की परली सीट से हार का सामना करना पड़ा था।

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