Thursday, May 02, 2024
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शशि थरूर ने कहा: हिंदुत्व ब्रिटिश फुटबाल टीम के गुंडों जैसी राजनीतिक विचारधारा

यह किताब पिछले 50 वर्षों में शशि थरूर द्वारा लिखे गए बेस्ट फिक्शन, नॉन-फिक्शन और कविता का एक बड़ा संग्रह है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 18, 2021 12:15 IST
शशि थरूर ने कहा: हिंदुत्व ब्रिटिश फुटबाल टीम के गुंडों जैसी राजनीतिक विचारधारा- India TV Hindi
Image Source : PTI शशि थरूर ने कहा: हिंदुत्व ब्रिटिश फुटबाल टीम के गुंडों जैसी राजनीतिक विचारधारा

Highlights

  • शशि थरूर ने अपनी नई किताब के विमोचन के मौके पर दिया विवादित बयान
  • थरूर ने कहा- इतिहास पर फिर से विचार करने की जरूरत
  • अब अंबेडकर पर एक किताब लिखने की प्लानिंग कर रहे हैं थरूर

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने हिंदू धर्म और हिंदुत्व की तुलना करते हुए हिंदुत्व के राजनीतिक विचारधारा की तुलना ब्रिटिश फुटबॉल टीम के गुंडों से की जिनका कहना है कि अगर आप मेरी टीम का सपोर्ट नहीं करोगे तो हम तुम्हें मारेंगें। वहीं दूसरी ओर थरूर ने कहा कि हिंदुइज्म हिंदुत्व से अलग है क्योंकि यह विविधता, बहुलवाद, सहिष्णुता के साथ ही संदेह, सवाल उठाने जैसे फिलॉस्फी से भरा पड़ा है। शशि थरूर ने बुधवार को नई दिल्ली में अपनी किताब 'प्राइड, प्रेजिडुस एंड पंडित्री: द एसेंशियल शशि थरूर' के विमोचन के दौरान यह टिप्पणी की। 

यह किताब पिछले 50 वर्षों में शशि थरूर द्वारा लिखे गए बेस्ट फिक्शन, नॉन-फिक्शन और कविता का एक बड़ा संग्रह है। इसमें शशि थरूर की प्रकाशित 22 किताबों, लेख और भाषण के चर्चित अंश उद्धृत किए गए है। इन भाषणों में शशि थरूर का प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनियन भाषण भी शामिल है। इस किताब को 10 सेक्शन में बांटा गया है जिसमें आधुनिक भारतीय ऐतिहासिक शख्सियतों, देश के राजनीतिक परिदृश्य, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, क्रिकेट, उनके माता-पिता और केरल के साथ संबंध, साहित्य और लेखन, कविता के अलावा उनके अन्य चयनित कार्यों का उल्लेख है। 

प्रकाशक और उपन्यासकार डेविड देवीदर के साथ बातचीत में तिरुवनंतपुर के सांसद थरूर ने कहा कि इतिहास पर फिर से विचार करने की जरूरत पर बल दिया इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वे पहले एक पाठक और फिर अंतत: एक लेखक कैसे बने। थरूर ने बताया कि वे अंबेडकर पर एक किताब लिखने की प्लानिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अस्थमा का मरीज होने के चलते वे ज्यादातर घर तक ही सीमित रहते थे इसलिए उन दिनों किताबें ही उनका साथ देती थीं। उन्होंने कहा कि उस दौर में टीवी, स्मार्टफोन या निन्टेंडो जैसी चीजें नहीं थी। उन्होंने कहा कि लेखन के क्षेत्र में उनके पिता ने बहुत प्रोत्साहित किया और 10 साल की उम्र में काल्पनिक नाम से रचना को प्रकाशित कराने में उनकी पूरी मदद की। दूसरी और उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि मां ने उन्हें उन सब कामों के लिए प्रेरित किया जिसे वह नहीं कर पाईं। घर से बाहर से निकलकर अपनी महत्वकांक्षाओं के आकाश को चूमने की प्रेरणा भी उन्हें मां से मिली। 

बातचीत के अंत में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के खिलाफ अपील करने के आधिकार देने के पाकिस्तानी संसद के फैसले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा-भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर सही काम किया और पाकिस्तान को दुनिया की नजरों में शर्मसार होना पड़ा। थरूर ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार पाकिस्तान में पकड़े गए अपने भारतीय नागरिक को बचाने के उचित प्रयास से पीछे नहीं हटेगी।

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