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डिप्टी स्पीकर के पास क्या होते हैं अधिकार, कांग्रेस क्यों मांग रही यह पद, समझें पूरा मामला

लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद बेहद अहम होता है। इसके पास भी वह सभी अधिकार होते हैं, जो स्पीकर के पास होते हैं। इसी वजह से कांग्रेस यह पद अपनी पार्टी के सांसद के लिए चाहती है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Jun 28, 2024 12:44 IST, Updated : Jun 28, 2024 12:44 IST
Rahul Gandhi- India TV Hindi
Image Source : PTI राहुल गांधी

देश की 18वीं संसद में स्पीकर का चयन हो चुका है। ओम बिरला एक बार फिर स्पीकर चुने गए हैं। हालांकि, अब तक डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ है और कांग्रेस चाहती है कि विपक्ष के किसी सांसद को यह पद दिया जाए। 17वीं लोकसभा (2019-2024) में यह पद खाली रहा था, लेकिन कांग्रेस इस बार अपने किसी नेता को डिप्टी स्पीकर बनाने पर अड़ी हुई है। आइए जानते हैं कि डिप्टी स्पीकर के पास क्या अधिकार होते हैं। यह पद क्यों अहम है, डिप्टी स्पीकर का चुनाव कब होता है और डिप्टी स्पीकर बन सकता है...

स्पीकर की गैर-मौजूदगी में सदन की अध्यक्षता संभालते वक्त डिप्टी स्पीकर के पास वही सारे अधिकार होते हैं, जो स्पीकर के पास होते हैं। अगर स्पीकर अपने पद से हटना चाहते हैं तो उन्हें अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को सौंपना होता है। विपक्ष पिछले दो चुनावों की तुलना में ज्यादा मजबूत है। यही वजह है कि कांग्रेस डिप्टी स्पीकर का पद चाहती है।

कैसे हुआ स्पीकर का चयन?

लोकसभा स्पीकर के लिए सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने ओम बिरला का नाम आगे किया और विपक्षी दल के इंडिया गठबंधन की तरफ से के सुरेश का नाम आगे किया गया। हालांकि, ध्वनिमत से ही स्पीकर का चयन हो गया और मतदान की जरूरत नहीं पड़ी। चुनाव के बाद विपक्षी नेताओं ने कहा कि वह सहयोग की भावना के साथ काम करना चाहते हैं और विपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं। इस वजह से स्पीकर के चयन में उन्होंने बात मतदान तक नहीं जाने दी। ऐसे में विपक्ष चाहता है कि डिप्टी स्पीकर का पद उसे दे दिया जाए। हालांकि, मतदान होने पर बहुमत एनडीए के पास है और डिप्टी स्पीकर भी एनडीए का ही बन सकता है। अगर सत्ता पक्ष अपना उम्मीदवार न उतारे तो विपक्ष का डिप्टी स्पीकर बन सकता है।

डिप्टी स्पीकर के पास क्या अधिकार?

स्पीकर की गैरमौजूदगी में डिप्टी स्पीकर ही उनका काम संभालता है और उसके पास स्पीकर के सारे अधिकार होते हैं। अगर स्पीकर इस्तीफा देते हैं तो वह अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को ही सौंपते हैं। अगर किसी विषय पर पक्ष और विपक्ष में पड़े वोट बराबर होते हैं तो स्पीकर की तरह डिप्टी स्पीकर का वोट भी निर्णायक होता है। 

कब होगा चुनाव?

संविधान के अनुसार नई सरकार को जल्द से जल्द स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन कर लेना चाहिए। हालांकि, इसके लिए कोई लिखित समय सीमा नहीं है। इसी वजह से पिछले कार्यकाल में एनडीए सरकार ने डिप्टी स्पीकर का पद खाली छोड़ दिया था। विपक्ष ने इसकी मांग की थी, लेकिन एनडीए इसके लिए सहमत नहीं हुआ। इससे पहले आठ बार सत्ताधारी दल का डिप्टी स्पीकर चुना जा चुका है और 11 बार विपक्ष का डिप्टी स्पीकर रहा है।

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