Friday, May 10, 2024
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पत्नी और बेटे संग इस पूर्व CM ने फिर थामा कांग्रेस का हाथ, कभी अपने एक वोट से गिरा दी थी केंद्र सरकार

2015 में कांग्रेस छोड़ने के बाद कद्दावर नेता गिरिधर गमांग ने बीजेपी का दामन थाम लिया था लेकिन हाल ही में वह भगवा दल को छोड़कर भारत राष्ट्र समिति में शामिल हो गए थे।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: January 18, 2024 11:13 IST
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Image Source : PTI गिरिधर गमांग ने एक बार फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

भुवनेश्‍वर: ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने एक बार फिर घर वापसी कर ली है। 2015 में कांग्रेस से अपने सारे रिश्ते तोड़ देने वाले गमांग ने लगभग 8 साल के अंतराल के बाद बुधवार को एक बार फिर से पार्टी का दामन थाम लिया। बता दें कि गिरधर गमांग वही नेता हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि उनके एक वोट से 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी। गमांग के साथ उनकी पत्नी, बेटे और एक अन्य कद्दावर नेता ने कांग्रेस का हाथ थामा है। गमांग के आने से कांग्रेस को ओडिशा में फिर से मजबूत होने की उम्मीद होगी।

गमांग के साथ एक और कद्दावर नेता ने की घर वापसी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 80 साल के गमांग बुधवार को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में पार्टी के ओडिशा प्रभारी अजॉय कुमार की मौजूदगी में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। गमांग की पत्‍नी और पूर्व कांग्रेस सांसद हेमा गमांग, उनके बेटे शिशिर गमांग और बारगढ़ के पूर्व सांसद संजय भोई भी इस कार्यक्रम में पार्टी में शामिल हुए। पिछले साल भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने के कुछ ही दिनों बाद गमांग तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष केसी राव की मौजूदगी में पार्टी मुख्यालय में BRS में शामिल हो गए थे। गमांग 2015 में कांग्रेस के साथ अपना 43 साल पुराना रिश्ता तोड़ने के बाद भगवा पार्टी में शामिल हो गए थे।

https://twitter.com/INC_Television/status/1747577941654176084

गमांग के वोट से 1999 में गिरी थी वाजपेयी की सरकार

गिरिधर गमांग 1972 से 9 बार कोरापुट निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने अपने लंबे करियर के दौरान कई कांग्रेस सरकारों के तहत केंद्रीय संचार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, खान आदि मंत्री सहित कई पदों पर कार्य किया। अप्रैल 1999 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार एक वोट से अविश्‍वास प्रस्ताव हार गई थी और इसके लिए गमांग को जिम्मेदार ठहराया गया था। गमांग ने फरवरी 1999 में ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लोकसभा में कांग्रेस सदस्य के रूप में प्रस्ताव पर मतदान किया था।

क्या ओडिशा में ‘हाथ’ की पकड़ मजबूत कर पाएंगे कमांग

कांग्रेस जहां गमांग के शामिल होने के बाद ओडिशा में जमीनी राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत होने की उम्मीद कर रही होगी, वहीं सियासी पंडितों का मानना है कि अब उनका पहले जैसा प्रभाव नहीं रह गया है। गिरिधर गमांग ने 2009 में कोरापुट लोकसभा सीट पर पहली बार हार का सामना किया था। उन्हें बीजू जनता दल के जयराम पांगी ने मात दी थी।

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