Saturday, April 27, 2024
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शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर हमला, लिखा- सत्ता पक्ष द्वारा पीटा जा रहा ढोल

शिवसेना यूबीटी गुट के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया गया है। इस लेख में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि की पीएम मोदी सरकार के दौरान रोजगार में कमी आई है और लोगों के तनख्वाह में भी कमी दर्ज की गई है।

Reported By : Atul Singh Edited By : Avinash Rai Updated on: September 28, 2023 6:53 IST
SAAMANA editorial Shiv Sena UBT attacked the central government in mouthpiece Saamana SAID THIS- India TV Hindi
Image Source : PTI सामना में केंद्र सरकार पर कटाक्ष

शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर हमला किया गया है। सामना में प्रकाशित संपादकीय में लिखा गया है कि सता पक्ष द्वारा ढोल पीटा जाता रहा है कि देश में मोदी सरकार के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है। इसलिए कोरोना महामारी के बाद भी रोजगार निर्माण और औद्योगिक विकास को गति मिली है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर जगह ये दिखा रहे हैं कि भारत साल 2047 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। लेकिन एक रिपोर्ट ने इन दावों को झांसा साबित कर दिया है। सामना ने 'फ्रंट लाइन वर्क फोर्स मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म बेटर प्लेस' रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि साल 2023 में देश में नई नौकरियों का प्रमाण घटा है और बोरोजगारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 

सामना में केंद्र सरकार पर हमला

रिपोर्ट का हवाला देते हुए सामना में बताया गया कि नौकरीपेशा लोगों की तनख्वाह में भी कमी आई है। ऐसी ज्वलंत सच्चाई इस रिपोर्ट में पेश की गई है। सामना में रिपोर्ट के हवाले से लिखा गया, 'मोदी सरकार और उनके समर्थकों की आंख में अंजन लगानेवाली यह सच्चाई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल नौकरियों का प्रमाण में लगभग 17.5 फीसदी कम हुआ है। मोदी सरकार का दावा कुछ भी हो लेकिन इस साल केवल 6.6 करोड़ जितने ही नए रोजगार निर्माण हुए हैं, रिपोर्ट से ऐसा साफ हुआ है। पिछले वर्ष 8.8 करोड़ नए रोजगार निर्माण हुए थे। इसका अर्थ यह है कि इसमें इस बार लगभग 2 करोड़ जितनी भारी गिरावट आई है।'

बेरोजगारी दर में हुई वृद्धि

सामना में रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा गया है कि मोदी सरकार के औद्योगिक विकास के दावों को झूठा साबित करने वाले ये आकड़े हैं। 25 साल से कम उम्र के डिग्री धारकों को दर-दर भटकने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। उनके बेरोजगारी की दर अब लगभग 42.3 फीसदी के पार पहुंच गई है। इससे कम शिक्षिक्ष बेरोजगारों का प्रमाण भी 8 फीसदी है। ऐसा भी देखने को मिला है। अर्थात डिग्री और उससे कम शिक्षित लगभग 50 फीसदी युवा आज बेरोजगारी के दावानल में जल रहे हैं और इस जलने को रोकने की बजाय अनाप-शनाप दावे करके उनके जख्मों पर नमक मलने का काम सत्ताधारी कर रहे हैं। 

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