Monday, April 29, 2024
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लोकसभा चुनाव से पहले फिर से उठाए जाएंगे Hijab जैसे विवादित मुद्दे: शिवसेना

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में सोमवार को एक संपादकीय में कहा गया है कि पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर हिजाब जैसे विवादित मुद्दे उठाए गए और अब चुनाव खत्म हो चुके हैं, तो इन मुद्दों को भी अलग रख दिया जाएगा। 

Bhasha Edited by: Bhasha
Published on: March 14, 2022 18:17 IST
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे

Highlights

  • शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में बीजेपी पर साधा निशाना
  • शिवसेना ने बीजेपी पर चुनाव से पहले विवादित मुद्दे उठाने का लगाया आरोप
  • भाजपा विपक्ष का सफाया करने के लिए चुनाव लड़ती है

मुंबईः शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में सोमवार को एक संपादकीय में कहा गया है कि पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर हिजाब जैसे विवादित मुद्दे उठाए गए और अब चुनाव खत्म हो चुके हैं, तो इन मुद्दों को भी अलग रख दिया जाएगा। इसके बाद साल 2024 के लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही ऐसे मुद्दों को फिर से उठाया जाएगा। पार्टी ने कहा कि चुनाव के दौरान इन मुद्दों को धार्मिक रंग देकर विकास कार्यों पर प्राथमिकता दी जाती है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पत्रकारों से कहा कि लोग चुनाव से पहले पुराने मुद्दे उठाए जाने के चलन के आदी होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग इन मुद्दों के साथ ऐसे बहते चले जा रहे हैं, जैसे (कोविड-19 महामारी के दौरान) गंगा में लाशें बह रही थीं।''

विपक्ष में मजबूत नेतृत्व के अभाव से भाजपा लाभान्वित हो रहीः शिवसेना

शिवसेना ने कहा कि 2024 के चुनाव से पहले भगोड़े गैंगस्टर दाउद इब्राहिम, पाकिस्तान और आतंकवाद से संबंधित मुद्दों को फिर से उछाला जाएगा। 'सामना' के संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे का खंडन किया गया है कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए चुनाव के परिणाम 2024 के आम चुनावों के नतीजों के संकेतक हैं। संपादकीय में कहा गया है, ''भाजपा ने भले ही चार राज्यों में विधानसभा चुनाव जीता हो, लेकिन इससे (परिणामों से) लोकसभा चुनाव (2024) पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। 2024 के आम चुनाव में देश के लिये लड़ाई होगी। '' उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि विपक्ष में मजबूत नेतृत्व के अभाव से भाजपा लाभान्वित हो रही है और अगर 2024 तक एक सर्व-स्वीकार्य नेतृत्व सामने आता है तो उसके ''पसीने'' छूट जाएंगे।

संपादकीय में दावा किया गया है, ''यह सच है कि वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का कोई मुकाबला नहीं है। मोदी-शाह और उनकी टीम पूरी आक्रामकता के साथ चुनाव मैदान में उतरती है। इस तरह के चुनावी युद्ध कौशल इन दिनों शायद ही कभी देखे जाते हैं। भाजपा जीत-हार के लिए चुनाव नहीं लड़ती बल्कि इसका मकसद अपने विपक्ष का सफाया करना है।''

(इनपुट भाषा) 

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