Saturday, April 20, 2024
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'सपा ने अपने ताबूत में ठोक ली आखिरी कील', जानिए ऐसा क्यों बोले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कुछ दिनों से लगातार रामचरितमानस पर विवादित टिपण्णी कर रहे हैं। इस मामले में उनपर FIR पर दर्ज हो चुकी है।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: January 29, 2023 22:31 IST
UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya- India TV Hindi
Image Source : TWITTER यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ: समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित होने के बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के ताबूत में आखिरी कील ठोक ली है। केशव प्रसाद मौर्या ने कहा, "मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी है समाजवादी पार्टी ने अपना हिंदू विरोधी चरित्र उजागर कर दिया है,श्रीरामचरितमानस मानस को अपमानित करने वाले को सपा बहादुर अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर खुद सपा के ताबूत में आख़िरी कील ठोक दी है। विनाशक काले विपरीत बुद्धि।”

आज ही घोषित हुई है सपा की कार्यकारिणी 

बता दें कि आज रविवार को सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित की गई है। नई कार्यकारिणी में स्वामी प्रसाद मौर्य, शिवपाल यादव समेत आजम खान को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में कुल 62 लोगों को शामिल किया गया है। रविवार को जारी सूची में पार्टी ने आजम खान और हाल ही में रामचरित मानस पर बयान देकर विवादों में आए स्वामी प्रसाद मौर्य को भी कार्यकारिणी में शामिल किया है। माना जा रहा है कि चाचा शिवपाल को मैनपुरी में डिंपल यादव की बड़ी जीत हासिल कराने में अहम रोल अदा करने के कारण तोहफा दिया गया है।

रामचरितमानस पर विवादित टिपण्णी कर रहे हैं स्वामी प्रसाद 

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य का रामचरितमानस पर विवादित बयान देने का सिलसिला थम नहीं रहा है। आज एकबार फिर से उन्होंने रामायण पर विवादित टिपण्णी कर दी। उन्होंने कहा कि रामायण धार्मिक ग्रंथ नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवालिया लहजे में कहा कि किसने कहा है कि रामचरित मानस एक धार्मिक ग्रंथ है? उन्होंने कहा, "गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं। किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।"

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