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Dhanteras 2019: धनतेरस के दिन खरीददारी का ये है शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्व

दिवाली उत्सव के पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। आचार्य इंदु प्रकाश से जानें इस दिन का क्या महत्व है और इस दिन कौन-से कार्य और खरीददारी करने का शुभ मुहूर्त।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 24, 2019 13:28 IST
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Dhanteras 2019: कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि और शुक्रवार का दिन है । द्वादशी तिथि शाम 07 बजकर 08 मिनट तक रहेगी | धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार की शुरुआत है । दिवाली उत्सव के पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। उसके बाद नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिर में भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है । धनतेरस का त्योहार 25 अक्टूबर को है । अतः आचार्य इंदु प्रकाश  से जानें इस दिन का क्या महत्व है और इस दिन कौन-से कार्य  और खरीददारी करने का शुभ मुहूर्त।

धनतेरस का महत्व

माना जाता है कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था । इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है । भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। इसलिए इस दिन चिकित्सकों के लिये विशेष महत्व रखता है। कुछ समय से इस दिन को 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' के रूप में भी मनाया जाने लगा है। जैन धर्म में धनतेरस को ''धन्य तेरस या ध्यान तेरस'' भी कहते हैं। क्यूंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और तीन दिन बाद दिवाली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे।

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धनतेरस पर खरीददारी करने के शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन सूर्योदय से लेकर सुबह 10:40 मिनट तक
दोपहर 12:05 से दोपहर 02:53 मिनट तक
शाम 04:17 मिनट से शाम 05:42 मिनट तक
रात 9 बजे से रात 10:30 तक धनतेरस की खरीददारी करें

सुबह 10:40 से दोपहर 12:05 मिनट तक राहुकाल में ना करें खदीददारी

 इस बार बन रहा है शुभ संयोग
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार धनतरेस के दिन सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा | अगर आपको कोई शांतिपूर्वक कार्य करना हो, तो ब्रह्म योग में करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी | साथ ही सुबह 09 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर पूरा दिन पूरी रात पार करके अगली सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक इंद्र योग रहेगा | अगर आप राजनीती से जुड़े है या राज्य पक्ष का कोई कार्य रुका हो तो उसे इस योग में पूरा करने का प्रयास करेंगे तो पूर्ण होगा । इसके अलावा दोपहर पहले 11 बजे तक पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा | माना जा रहा है कि ऐसा संयोग कई सालों बाद बन रहा है।

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क्या खरीदना माना जाता है शुभ?
धनतेरस के दिन बाजार से कुछ न कुछ खरीदकर लाने की परंपरा है। विशेषकर सोने या चांदी की चीज़ें खरीदने का महत्व है। धनतरेस के दिन बहुत से लोग लक्ष्मी-गणेश जी बने हुए सोने-चांदी के सिक्के खरीदते हैं, जो कि बहुत ही शुभ माने जाते हैं, लेकिन जो लोग ये नहीं खरीद सकते, वो स्टील, पीतल या तांबे आदि का बर्तन खरीद सकते हैं। इस दिन धातु की चीजें खरीदना बड़ा ही शुभ फलदायी होता है। अतः इस  दिन कोई न कोई धातु की चीज़ खरीदकर घर अवश्य लानी चाहिए। कहते हैं धनतेरस के दिन जो कुछ भी खरीदा जाये, उससे घर की सुख-समृद्धि में चार चांद लग जाते हैं। इस दिन घर में किसी चीज़ का आगमन पूरे साल भर की खुशियों के आगमन के समान है।

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धनतेरस के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस तिथि- शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019
धनतेरस पूजन मुर्हुत - शाम 07:08 बजे से रात 08:14 बजे तक
प्रदोष काल - शाम 05:38 से रात 08:13 बजे तक

वृषभ काल - शाम 06:50 से रात 08:45 बजे तक

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - सुबह 07:08 बजे (25 अक्टूबर 2019) से
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 26 अक्टूबर को दोपहर 03:57 बजे तक

ऐसे करें धनतेरस के दिन पूजा

धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद अपना रोज की तरह पूजा करें इसके बाद धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल में स्थापित करें। इस बात का ध्यान रहें कि जब आप भगवान की मूर्ति स्थापित कर रहें हो, तो आपका मुख पूर्व की तरफ पड़े। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर धन्वंतरि का आवाहन करें-

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

इसके बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं। इसके बाद भगवान को  गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि लगाएं। साथ ही चांदी या फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। भोग के बाद फिर आचमन करें। फिर उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं।

भगवान धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-

ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।

इसके बाद भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और श्रीफल चढ़ाएं। और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें।

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