Monday, April 29, 2024
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धनतेरस में ऐसे करें विशेष मुहूर्त में पूजा और जानिए खरीददारी करने का विशेष संयोग

इस बार धनतेरस से पहले रवि पुष्य नक्षत्र से संयोग से दीपावली एवं धनतेरस से पहले बाजारों में लक्ष्मी की धन वर्षा होगी। पुष्य नक्षत्र के साथ श्रीवत्स योग व अहोई अष्टमी, कालाष्टमी एवं सूर्य बुध के एक साथ होने से शुभ महा संयोग बनेगा। जानिए..

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 27, 2016 14:07 IST
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धर्म डेस्क: दीपावली हिंदू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। दीपावली का त्योहार पांच दिनों का त्योहार होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी कि धनतेरस के दिन से दीपावली का त्योहार शुरू हो जाता है। इस बार धनतेरस 28 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रहा है।

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इस बार धनतेरस से पहले रवि पुष्य नक्षत्र से संयोग से दीपावली एवं धनतेरस से पहले बाजारों में लक्ष्मी की धन वर्षा होगी। पुष्य नक्षत्र के साथ श्रीवत्स योग व अहोई अष्टमी, कालाष्टमी एवं सूर्य बुध के एक साथ होने से शुभ महा संयोग बनेगा।

पुष्य नक्षत्र की धातु सोना है जिसे खरीदने से आपको बहुत लाभ मिलेगा। इसके साथ ही 22 को शनिपुष्य व 23 को रविपुष्य का योग बनने से भूमि, भवन, वाहन व अन्य स्थाई सम्पत्ति में निवेश करने से आपको बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा। जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त साथ ही जानिए करीददारी का भी शुभ मुहूर्त।

ऐसे करें धनतेरस में पूजा

धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद अपना रोज की तरह पूजा करें इसके बाद धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल में स्थापित करें। इस बात का ध्यान रहें कि जब आप भगवान की मूर्ति स्थापित कर रहें हो, तो आपका मुख पूर्व की तरफ पड़े। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर धन्वंतरि का आवाहन करें-

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

इसके बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं। इसके बाद भगवान को  गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि लगाएं। साथ ही चांदी य़ा फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। भोग के बाद फिर आचमन करें। फिर उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं।

भगवान धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-

ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।

इसके बाद भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और श्रीफल चढ़ाएं। और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें।

अगली स्लाइड  में पढ़े शुभ मुहूर्त के बारें में

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