Saturday, December 14, 2024
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No car day: देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर 22 सितंबर को मनाएगा नो कार डे, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करेंगे लोग

शहर के नागरिकों से अपील की गई कि वे पिछले वर्ष की सफलता को ध्यान में रखते हुए ‘नो कार डे’ पर अपनी कार के बजाय साइकिल, ई-रिक्शा और सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों का इस्तेमाल करें।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Sep 20, 2024 22:00 IST, Updated : Sep 20, 2024 22:00 IST
No car day- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK इंदौर 22 सितंबर को मनाएगा नो कार डे

No car day:  पूरी दुनिया में आज वायू प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। सड़कों पर वाहनों की बड़ी तादाद के कारण भारत भी वायु प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर 22 सितंबर (रविवार) को ‘नो कार डे’ मनाएगा। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस दिन कार के बजाय परिवहन के अन्य साधनों का इस्तेमाल करें। 

पिछले साल 12 फीसदी कम कारें चली थीं

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि शहर में ‘नो कार डे’ पर पर्यावरण के लिए अनुकूल हरित ऊर्जा और लोक परिवहन को बढ़ावा दिया जाएगा। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एक अध्ययन के हवाले से बताया कि पिछले साल ‘नो कार डे’ पर शहर की सड़कों पर 12 फीसद कारें कम चलीं जिससे करीब 80,000 लीटर ईंधन की बचत हुई, सल्फर मोनो ऑक्साइड का उत्सर्जन 5.5 फीसद कम हुआ और कुल मिलाकर 18 प्रतिशत वायु प्रदूषण घटा। 

सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल

भार्गव ने शहर के नागरिकों से अपील की कि वे पिछले वर्ष की सफलता को ध्यान में रखते हुए ‘नो कार डे’ पर अपनी कार के बजाय साइकिल, ई-रिक्शा और सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों का इस्तेमाल करें। मध्यप्रदेश विधानसभा में मार्च 2023 में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया था कि 31 जनवरी 2023 को इंदौर में कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या 21,61,300 थी जिनमें 3,38,353 कारें शामिल हैं। 

 रोज चार लाख से ज्यादा कारें चलती हैं

अधिकारियों का अनुमान है कि शहर में हर रोज चार लाख से ज्यादा कारें चलती हैं जिनमें बाहर से आने-जाने वाली कारें शामिल हैं। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करने वाले वैश्विक गठजोड़ ‘क्लीन एयर कैटलिस्ट’ के अध्ययन के मुताबिक इंदौर में हवा की गुणवत्ता बिगाड़ने में वाहनों के प्रदूषण और सड़क पर उड़ने वाली धूल की सर्वाधिक 70 फीसद हिस्सेदारी है। क्लीन एयर कैटलिस्ट के वरिष्ठ वायु गुणवत्ता वैज्ञानिक डॉ.प्रकाश दुरईस्वामी के मुताबिक,“हम देख रहे हैं कि वाहनों का धुआं शहर में वायु की गुणवत्ता बिगाड़ रहा है। ‘नो कार डे’ जैसी पहल में भाग लेने से हमें परिवहन के वैकल्पिक साधनों के इस्तेमाल और शहर का वायु प्रदूषण घटाने का मौका मिलेगा।’ (भाषा)

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