Friday, May 03, 2024
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पात्रा चॉल घोटाला: संजय राउत पर कल तय होंगे आरोप, आखिर क्या है यह घोटाला जिसने लोगों को किया बेघर

मुंबई गोरेगांव के पत्रा चॉल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी सांसद संजय राउत पर कल सेशन कोर्ट में आरोप तय होंगे। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने राउत को 1 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai
Published on: April 16, 2023 20:05 IST
Patra Chawl scam Sanjay Raut will face charges tomorrow what is this scam that made people homeless- India TV Hindi
Image Source : PTI पात्रा चॉल घोटाला: संजय राउत पर कल तय होंगे आरोप

मुंबई गोरेगांव के पत्रा चॉल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी सांसद संजय राउत पर कल सेशन कोर्ट में आरोप तय होंगे। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने राउत को 1 अगस्त को गिरफ्तार किया था। पत्रा चॉल मामले में संजय राउत, प्रवीण राउत समेत सभी 5 आरोपियों पर कल होंगे आरोप तय किए जाएंगे। बता दें कि यह पूरा घोटाला 1000 करोड़ का है। बीते दिनों पात्रा चॉल घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के निदेश राकेश कुमार वाधवन और सारंग कुमार वाधवन की उत्तरी गोवा में स्थित 31.50 करोड़ रुपये की दो अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया था। इस मामले में संजय राउत कई दिनों तक जेल में रह चुके हैं। 

आखिर है क्या पात्रा चॉल घोटाला ?

साल 2007 में एक जमीन पर टिन के चॉल में 500 से ज्यादा परिवार रहते थे। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी (GACPL) से यहां फ्लैट्स बनाने का करार किया। इस कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार, इस जमीन पर 3,000 फ्लैट बनने थे। इसमें से 672 फ्लैट वहां चॉल में रहने वाले लोगों को दिए जाने थे। करार में यह स्पष्ट तरीके से कहा गया था कि यहां फ्लैट बनाने वाली कंपनी को इस जमीन बेचने का अधिकार नहीं होगा। लेकिन आरोप है कि कंपनी ने समझौते का उल्लंघन करते हुए इस जमीन को 9 अलग-अलग बिल्डर्स को 1,034 करोड़ में बेच दिया। कंपनी ने जमीन को बेंच तो दिया लेकिन फ्लैट एक भी नहीं बना।

चॉल में रहने वाले हो गए बेघर 

चॉल में रहने वाले परिवारों ने पक्के मकानों जके सपने में अपने टिन के मकान तो छोड़ दिए लेकिन उनके सपने मुंबई की बारिश में धुल गए। म्हाडा से हुए समझौते के तहत प्रोजेक्ट पूरा होने तक इन सभी 672 लोगों को GACPL को हर महीने रेंट भी देना था। हालांकि, इन सभी को केवल 2014-15 तक ही रेंट दिया गया। इसके बाद अपने बने बनाए टिन के मकानों को छोड़कर किराएदार बने लोगों ने किराया नहीं मिलने की शिकायत करने लगे। यही नहीं, वो प्रोजेक्ट में देरी की शिकायत को लेकर दर-दर भटकने लगे। GACPL के रेंट नहीं देने और अनियमितताओं के कारण म्हाडा ने 12 जनवरी 2018 को कंपनी को टर्मिनेशन नोटिस भेज दिया। लेकिन इस नोटिस के खिलाफ सभी 9 बिल्डरों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।  कंपनी की अनियमितताओं के और इन सब चक्करों में प्रोजेक्ट का काम रुक गया और बेचारे चॉल के 672 लोगों को कुछ नहीं मिला। जो कभी अपने घर के मालिक होते थे वे आज दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।

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