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Budget 2019 : 'उत्तराधिकार से प्राप्त संपत्ति पर 35 साल बाद दोबारा लागू होगा टैक्स'

उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्तियों, गहनों, शेयर, मियादी जमा राशि, बैंक में जमा रकम (नकदी) पर आगामी बजट में कर लगाया जा सकता है।

Written by: India TV Business Desk
Published : July 04, 2019 9:39 IST
Inheritance Tax- India TV Paisa

Inheritance Tax

नई दिल्ली। उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्तियों, गहनों, शेयर, मियादी जमा राशि, बैंक में जमा रकम (नकदी) पर आगामी बजट में कर लगाया जा सकता है। यह जानकारी बुधवार को आधिकारिक सूत्रों ने दी। सूत्रों ने बताया कि इस कदम से संसाधनों में वृद्धि नहीं होगी लेकिन इससे सरकार की गरीब हितैषी नीति का प्रतिपादन होगा। साथ ही, धनसंचय पर रोक लगेगी और कालाधन के खिलाफ सरकार की मुहिम को प्रोत्साहन मिलेगा। 

दुनिया में यूके इसका एक उदाहरण है जहां उत्तराधिकार कर वसूल किया जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस कर से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, लेकिन वित्त मंत्रालय इसे मजबूत व समावेशी कदम के रूप में पेश कर सकता है ताकि अमीर उत्तराधिकार के जरिए ज्यादा संपत्ति हासिल न कर सकें क्योंकि इससे देश में धन के वितरण में गड़बड़ी पैदा होती है। 

बता दें कि पूर्ण बजट 2019 से पहले अकाउंटिंग ऑर्गेनाइजेशन केपीएमजी ने अलग-अलग उद्योगों के 226 लोगों पर सर्वे किया है। इनमें से 13 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उत्तराधिकार कर वापस लाया जा सकता है जबकि 10 प्रतिशत लोगों को लगता है कि वेल्थ टैक्स की घोषणा की जा सकती है।

अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार कर लगाने का यह सही समय है जिससे लोग सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों और जन कल्याण के न्यासों को दान देने से बच सकते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार उत्तराधिकार में प्राप्त जायदाद और नकदी की संपत्ति पर 35 साल बाद संपत्ति कर दोबारा लागू करने पर विचार कर रही है। 

वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 2005 में 10,000 रुपये से अधिक की नकदी की निकासी पर 0.1 फीसदी नकदी हस्तांतरण कर लगाया था। इस सीमा को बाद में बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया था। इस मामले में कर संग्रह कम होने के कारण 2009 में इसे खत्म कर दिया गया। 

कई देशों में उत्तराधिकारियों को अपने पूर्वजों या रिश्तेदारों व मित्रों से प्राप्त जायदाद या संपत्ति पर उत्तराधिकार कर अदा करना पड़ता है। वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में किसी वसीयत के तहत हस्तांतरण या उपहार कर के दायरे में प्राप्त विरासत के हस्तांरण के मामले को स्पष्ट रूप से अलग कर दिया गया है। तदनुसार, भारतीय कानून में उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पर कर का प्रावधान नहीं है। 

उत्तराधिकार कर को 1985 में समाप्त कर दिया गया था। कर मामलों के विशेषज्ञ वेद जैन ने आईएएनएस से कहा, "उत्तराधिकार कर को जागीर शुल्क कहा जाता है। यह संपत्ति कर ही है। पिता से उनकी संतान को प्राप्त सभी संपत्तियों में से उनके दायित्व को हटाकर शेष को इसमें शामिल किया जाता है।"

उन्होंने कहा, "प्रतिघात से बचने के मकसद से अगर नया कर लागू किया जाता है तो सरकार 10 करोड़ रुपये से अधिक की उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पर पांच या 10 फीसदी कर लगा सकती है। यह बड़ी रकम भले ही न हो लेकिन भारत में कितने लोगों के पास 10 करोड़ की संपत्ति है।"

उन्होंने कहा, "उत्तराधिकार के लिए बड़ी चुनौती कर अदा करने के लिए नकदी की है। अगर किसी के पास एक कंपनी की 50,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर हैं और अगर आप 5,000 करोड़ रुपये कर चुकाते हैं तो व्यक्ति को कर चुकाने के लिए शेयर बेचने होंगे।" जैन ने कहा, "100 करोड़ रुपये की संपत्ति के लिए 10 करोड़ रुपये कर अदा करना होगा। कोई कहां से कर अदा करेगा?"

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