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भारतीय बैंकों पर 2011-13 में अटकी परियोजनाओं के कारण दबाव: SBI

भारत के बैंकिंग क्षेत्र पर अटकी परियोजनाओं के कारण कुछ दबाव है और इन्हें दूर करने की कोशिशें की जा रही है। यह बात SBI की अध्यक्ष अरंधती भट्टाचार्य ने कही।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: July 06, 2016 17:16 IST
भारतीय बैंकों पर 2011-13 के दौरान अटके प्रोजेक्ट्स के कारण दबाव, दिक्कतों को दूर करने की जरूरत: SBI- India TV Paisa
भारतीय बैंकों पर 2011-13 के दौरान अटके प्रोजेक्ट्स के कारण दबाव, दिक्कतों को दूर करने की जरूरत: SBI

न्यूयार्क। भारत के बैंकिंग क्षेत्र पर मुख्य तौर पर 2011-13 के दौरान अटकी परियोजनाओं के कारण कुछ दबाव है और इन परियोजनाओं की मुश्किलें दूर करने की कोशिशें की जा रही है। यह बात SBI की अध्यक्ष अरंधती भट्टाचार्य ने कही। उन्होंने कहा, भारत में बैंकिंग क्षेत्र पर फिलहाल कुछ दबाव है और ऐसा मुख्य तौर पर 2011-13 के बीच अटकी परियोजनाओं के कारण है। फिलहाल हम अपने स्तर पर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इन अटकी परियोजनाओं की दिक्कतें दूर की जाएं। कुछ हद तक यह काम किया गया है और अभी काफी कुछ करना बाकी है।

भट्टाचार्य ने कल भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और इंडस एंट्रेप्रेन्योर्स ऑन इंडिया के सहयोग से भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक समारोह में कहा, यह बड़ा मुद्दा है क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र को ही ज्यादा से ज्यादा पूंजी की जरूरत है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न माध्यमों पर काम कर रहे हैं कि बैंकिंग क्षेत्र मजबूत रहे। भट्टाचार्य ने अपनी यात्रा के दौरान शहर में निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि देश में वृहद्-आर्थिक मानक बेहद अच्छे हैं और राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति बेहद नियंत्रण में है और इसमें रिजर्व बैंक द्वारा जनवरी 2017 के लिए तय पांच प्रतिशत या इससे कम होने के लक्ष्य के अनुरूप गिरावट का रख जारी रहेगा।

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भट्टाचार्य ने कहा हम उस स्तर पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि ब्याज दर भी ऐतिहासिक उच्च स्तर से नीचे आ रहीं हैं और फिलहाल वे काफी कम हैं लेकिन भारी मात्रा में निवेश शुरु करने के लिहाज से हो सकता है ये काफी कम नहीं हों। भट्टाचार्य ने कहा कि भारत में इस्पात और बिजली दोनों की प्रति व्यक्ति खपत दुनिया में सबसे कम में से एक है। उन्होंने कहा, भारत में पहले ही खपत का अंतर काफी है, जैसे ही इन क्षेत्रों में मांग फिर से बढ़ेगी, उम्मीद है कि उससे उत्पादकता बढ़ेगी और फंसी परिसंपत्तियों में फिर से गतिविधि शुरू हो जायेगी।

अरंधती ने कहा, मेरा मानना है कि हम उसके काफी करीब पहुंच चुके है जहां अर्थव्यवस्था को लेकर वास्तविक चिंता है। सरकार इस मामले में सही तरह के बदलाव लाने की दिशा में बढ़ रही है। सरकार स्टार्ट-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे अग्रणी कार्यक्रमों को उचित प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ा रही है। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के मुद्दे पर भट्टाचार्य ने जनमत संग्रह को गलत कदम बताया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया को वैश्वीकरण की जरूरत है। उसे एक दूसरे के साथ ज्यादा संपर्क में रहने और गठजोड़ बनाने की जरूरत है। जो कुछ हो चुका है उसे आप वापस नहीं कर सकते हैं और संरक्षणवादी नहीं बन सकते हैं। कारोबार के मामले में, हमें नहीं लगता है कि लंबे समय तक कोई बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि ब्रिटेन का वित्तीय क्षेत्र अपने आप में काफी खुला और गतिशील रहा है।

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