Monday, December 16, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. टीकाकरण मामले में भारत पीछे, ऊंचे कर्ज- जीडीपी अनुपात से आउटलुक निगेटिव: फिच

टीकाकरण मामले में भारत पीछे, ऊंचे कर्ज- जीडीपी अनुपात से आउटलुक निगेटिव: फिच

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार का 2025-26 तक इसे कम कर जीडीपी के 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : September 07, 2021 20:27 IST
टीकाकरण मामले में...- India TV Paisa
Photo:PTI

टीकाकरण मामले में भारत पीछे: फिच 

नई दिल्ली। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि भारत पूर्ण कोविड टीकाकरण के मामले में काफी पीछे बना हुआ है। उसने यह भी कहा कि सॉवरेन रेटिंग का नकारात्मक आउटलुक बढ़ते कर्ज- जीडीपी अनुपात को परिलक्षित करता है। फिच ने इस साल अप्रैल में भारत की साख को नकारात्मक आउटलुक के साथ ‘बीबीबी-’ बरकरार रखा है। आउटलुक पिछले साल जून में स्थिर से बदलकर नकारात्मक किया गया था। फिच के अनुसार इसका कारण महामारी की वजह से देश के वृद्धि परिदृश्य पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव और उच्च सार्वजनिक कर्ज बोझ से जुड़ी चुनौतियों का सामने आना है। 

ग्लोबल सॉवरेन कान्फ्रेन्स 2021, एशिया-प्रशांत को संबोधित करते हुए फिच रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक और एशिया-प्रशांत सावरेन रेटिंग्स के प्रमुख, स्टीफन श्वार्ट्ज ने कहा कि दुनिया भर में आर्थिक सुधार के लिये टीकाकरण काफी महत्वपूर्ण है। श्वार्ट्ज ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र शुरू में वायरस को नियंत्रित करने में काफी सफल था। लेकिन टीकाकरण का मामला सामने आने के बाद क्षेत्र के कुछ देश थोड़े पीछे रह गये। सिंगापुर जहां वास्तव में अब अपनी 80 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर चुका है, वहीं वियतनाम, थाईलैंड और भारत जैसे क्षेत्र के कई देश अभी भी पीछे हैं। इसके कारण इन देशों को समय-समय पर प्रतिबंध लगाने पड़ रहे हैं।’’ उल्लेखनीय है कि भारत में अब तक टीके की 70 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। पिछले 11 दिनों में से तीन दिनों में एक करोड़ से अधिक टीके दिये गये। 

श्वार्ट्ज ने यह भी कहा कि भारत के लिये नकारात्मक परिदृश्य का कारण कर्ज-जीडीपी अनुपात में वृद्धि तथा वृद्धि को लेकर अनिश्चितता है। भारत का कर्ज-जीडीपी अनुपात 2019 में 72 प्रतिशत था। एजेंसी का मानना है कि अगले पांच साल में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुपात के रूप में 90 प्रतिशत हो जाने की आशंका है। फिच ने कहा कि सरकारी कर्ज-जीडीपी अनुपात को नीचे रखने के साथ राजकोषीय घाटे को उसी के अनुरूप कम नहीं रखा जाता है तो सरकारी साख के लिये यह प्रतिकूल हो सकता है। एक अप्रैल से शुरू चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार का 2025-26 तक इसे कम कर जीडीपी के 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है। 

 

यह भी पढ़ें: सस्ता होगा रेलवे के एसी क्लास में सफर, नये कोच से घटेगा किराया और बढ़ेंगी बर्थ

यह भी पढ़ें: बढ़ते साइबर क्राइम के बाद भी गंभीर नहीं भारतीय , पढ़िये एक सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement