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भारतीय कंपनियों का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश जून में बढ़कर दोगुना, टाटा स्टील और विप्रो सबसे आगे

टाटा स्टील ने सिंगापुर में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी में एक अरब डॉलर और विप्रो ने अमेरिका में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में 78.75 करोड़ डॉलर निवेश किया ।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 18, 2021 15:59 IST
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Photo:WIPRO

भारतीय कंपनियों का विदेश में निवेश बढ़ा

नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश इस साल जून में बढ़ कर 2.80 अरब डॉलर हो गया जो कि पिछले साल के मुकाबले दोगुना है। एक साल पहले इस दौरान यह आंकड़ा 1.39 अरब डॉलर था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जून, 2021 में कुल विदेशी निवेश में से 1.17 अरब डॉलर गारंटी, 1.21 अरब डॉलर कर्ज और 42.68 करोड़ डॉलर शेयर-पूंजी के रूप में रहा। आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान टाटा स्टील ने सिंगापुर में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी में एक अरब डॉलर का निवेश किया। विप्रो ने अमेरिका में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में 78.75 करोड़ डॉलर और टाटा पावर ने मॉरीशस में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में 13.12 करोड़ डॉलर का निवेश किया। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सिंगापुर में कृषि और खनन आधारित डब्ल्यूओएस में 5.6 करोड़ डॉलर, इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज ने ब्रिटेन में संयुक्त उद्यम में 5.15 करोड़ डॉलर, ओएनजीसी विदेश लि. ने मोजाम्बिक में संयुक्त उद्यम में 4.83 करोड़ डॉलर तथा पहाड़पुर कूलिंग टावर्स ने सिंगापुर में अपनी पूर्ण स्वमित्व वाली अनुषंगी में 4.8 करोड़ डॉलर का निवेश किया। इसके अलावा टाटा कम्युनिकेशंस ने सिंगापुर में डब्ल्यूओएस में पांच करोड़ डॉलर, ओएनजीसी विदेश लि. ने रूस में संयुक्त उद्यम में 4.87 करोड़ डॉलर तथा डब्ल्यूएनएस ग्लोबल सर्विसेज ने नीदरलैंड में संयुक्त उद्यम में 4.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया। 

एफपीआई ने जुलाई में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 4,515 करोड़ रुपये निकाले 

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई के पहले पखवाड़े में भारतीय शेयर बाजारों से 4,515 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस दौरान भारतीय बाजार के प्रति एफपीआई का रुख सतर्कता भरा रहा है। मॉर्निंगस्टोर इंडिया के एसोसिएट निदेशक (प्रबंधक शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस समय बाजार अपने रिकॉर्ड स्तर पर है। ऐसे में एफपीआई ने मुनाफा काटने का विकल्प चुना है। ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भी वे अधिक निवेश नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा महामारी की संभावित तीसरी लहर के जोखिमों को लेकर भी वे सतर्क हैं।’’ उन्होंने कहा कि डॉलर में लगातार मजबूती तथा अमेरिका में बॉन्ड पर प्राप्ति बढ़ने की संभावना भारत जैसे उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह की दृष्टि से अच्छी नहीं है, लेकिन इसको लेकर तत्काल चिंता करने की जरूरत नहीं है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने एक से 16 जुलाई के दौरान शेयरों से 4,515 करोड़ रुपये की निकासी की। इस दौरान उन्होंने ऋण या बांड बाजार में 3,033 करोड़ रुपये डाले भी। इस दौरान उनकी शुद्ध निकासी 1,482 करोड़ रुपये रही। जून में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 13,269 करोड़ रुपये डाले थे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि 2021 में अभी तक एफपीआई की गतिविधियां ‘काफी उतार-चढ़ाव’ वाली रही हैं। 

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