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मॉरीशस से आता है भारत में सबसे ज्‍यादा एफडीआई, अमेरिका और ब्रिटेन हैं इससे पीछे

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मॉरीशस, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन का स्थान है।

Edited by: Abhishek Shrivastava
Published : January 20, 2018 17:36 IST
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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मॉरीशस, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन का स्थान है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर और जापान इस मामले में चौथे और पांचवे स्थान पर हैं। रिजर्व बैंक द्वारा जारी 2016-17 की भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की विदेशी देनदारी और संपत्ति नामक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। 

रिजर्व बैंक द्वारा की गई गणना में शामिल 18,667 कंपनियों में से 17,020 कंपनियों के मार्च 2017 में समाप्त वित्त वर्ष के खाते में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या फिर विदेशों में उनके प्रत्यक्ष निवेश की स्थित को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट के लिए जानकारी वाली कंपनियों में से मार्च 2017 की स्थिति के अनुसार 96 प्रतिशत कंपनियां गैर-सूचीबद्ध कंपनियां हैं। इनमें से ज्यादातर कंपनियों में सीधे एफडीआई प्राप्त हुआ था। सूचीबद्ध कंपनियों के बजाये गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में एफडीआई का अधिक हिस्सा है।  

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिन 15,169 कंपनियों ने एफडीआई होने की जानकारी दी है उनमें से 80 प्रतिशत से अधिक कंपनियां अपनी विदेशी कंपनियों की अनुषंगी हैं। यानी उनके किसी एक विदेशी निवेशक के पास 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्राप्त एफडीआई में बाजार मूल्य के हिसाब से मॉरीशस का सबसे ज्यादा 21.8 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और जापान का स्थान रहा है।

वहीं भारत से विदेशों में किए जाने वाले प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) को हासिल करने के मामले में सिंगापुर 19.7 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा विदेशी स्थान रहा। इसके बाद हॉलैंड, मॉरीशस और अमेरिका का स्थान रहा। रिपोर्ट में भारतीय कंपनियों की विदेशी देनदारी और संपत्तियों के मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय एफडीआई कंपनियों के मुकाबले गैर-वित्तीय एफडीआई कंपनियों में काफी ज्यादा हिस्सेदारी देखी गई है। 

बाजार मूल्य पर कुल एफडीआई में विनिर्माण क्षेत्र का करीब-करीब आधा हिस्सा रहा है। इसके अलावा सूचना और दूरसंचार सेवाओं, वित्तीय और बीमा गतिविधियां एफडीआई पाने वाले अन्य प्रमुख क्षेत्र रहे हैं। 

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