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सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, अब 31 मार्च तक आधार से जोड़ सकेंगे मोबाइल नंबर, बैंक खाते खोलने के लिए भी अनिवार्य नहीं आधार

सुप्रीम कोर्ट ने आधार से जुड़ी बड़ी राहत दी है। अपने मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने के लिए 6 फरवरी 2018 की तय समय सीमा को सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ा दिया है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : Dec 15, 2017 11:25 am IST, Updated : May 11, 2018 04:24 pm IST
aadhaar- India TV Paisa

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नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने आधार से जुड़ी बड़ी राहत दी है। अपने मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने के लिए 6 फरवरी 2018 की तय समय सीमा को सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च कर दी है। आधारकार्ड से जुड़ी आज महत्‍वपूर्ण सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बैं‍क में खाता खोलने के लिए भी आधार कार्ड की अनिवार्यता पर राहत दी है। अब बैंक में खाता खुलवाते समय आधार कार्ड होना अनिवार्य शर्त नहीं होगी। नए बैंक खातों के लिए आधार देना होगा और आधार ना हो तो एनरोलमेंट देना होगा इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न योजनाओं और कल्याणकारी उपायों को आधार से जोड़ने की समयसीमा अगले साल 31 मार्च तक बढ़ा दी है।

गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान पीठ ने आधार को विभिन्न सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है। इससे पहले बुधवार को सरकार ने आधार को बैंक खातों समेत विभिन्‍न वित्‍तीय सेवाओं और उपकरणों से जोड़ने की अंतिम तारीख 3 महीने और बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी है। इस संबंध में बुधवार को एक अधिसूचना जारी की गई है। इससे पहले 31 दिसंबर 2017 अंतिम तारीख थी।

सर्वसम्मति से अंतरिम आदेश लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हालांकि आवेदक को इस बात का सबूत दिखाना होगा कि उसने आधार संख्या के लिए आवेदन कर रखा है। 
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक पीठ आधार योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर 17 जनवरी से सुनवाई शुरू करेगी। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कल उच्चतम न्यायालय में कहा था कि विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा को भी अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाया जा सकता है। 
हाल ही में उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाले कई याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है। शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाकर्ताओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जोड़ने को ‘‘गैरकानूनी तथा असंवैधानिक’’ बताया है। 

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