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आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्‍तान को मात देगा भारत, MFN का दर्जा छिनने से क्‍या होगा असर?

आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्‍तान को उचित जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री ने MFN: मोस्‍ट फेवर्ड नेशन दर्जे की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलाई है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Sep 29, 2016 09:24 am IST, Updated : Sep 29, 2016 09:24 am IST
Economic Warfare: आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्‍तान को मात देगा भारत, MFN का दर्जा छिनने से क्‍या होगा असर?- India TV Paisa
Economic Warfare: आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्‍तान को मात देगा भारत, MFN का दर्जा छिनने से क्‍या होगा असर?

नई दिल्‍ली। लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों की वजह से भारत-पाकिस्‍तान के बीच बढ़े तनाव ने दोनों देशों के मध्‍य युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। पाकिस्‍तान के आतंकी हमलों का जवाब देने के लिए भारत ने अब उसके खिलाफ रणनीतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ दिया है। जम्‍मू-कश्‍मीर के उड़ी सैन्‍य ठिकाने पर आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्‍तान को उचित जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्‍तान को दिए गए व्‍यापार के लिहाज से तरजीही राष्‍ट्र (MFN: मोस्‍ट फेवर्ड नेशन) दर्जे की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलाई है।

इससे पहले सोमवार को भारत ने 58 साल पुरानी सिंधु जल संधि की भी समीक्षा कर भारत से होकर पाकिस्‍तान को जाने वाली प्रमुख नदियों के पानी का ज्‍यादा इस्‍तेमाल करने का फैसला किया है। भारत ने 1996 में अपनी तरफ से पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्‍तान ने अभी तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया है। हालांकि, 2012 में इस्‍लामाबाद ने भारत को एमएफएन का दर्जा देने का फैसला किया था लेकिन घरेलू विरोध के कारण यह पूरा नहीं हो सका।

क्‍या है एमएफएन?

वर्ल्‍ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्‍ल्‍यूटीओ) के मुताबिक, एमएफएन का मतलब है संबद्ध देशों के बीच विशिष्‍ट सत्‍कार, जिसका वास्‍तविक मतलब है बिना-भेदभाव के व्‍यापार। एमएफएन दर्जा डब्‍ल्‍यूटीओ के टैरिफ एंड ट्रेड (जीएटीटी) पर सामान्‍य समझौते के तहत प्रदान किया जाता है। भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं, जिसका मतलब है कि दोनों ही देश एक दूसरे को तथा डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ अनुकूल व्यापारिक भागीदार की तरह व्यवहार करेंगे। इसका उद्देश्‍य अधिक स्थिर, उम्‍मीद के मुताबिक, विश्‍वसनीय और प्रतिस्‍पर्धी अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार सुनिश्चित करना है।

  • वर्तमान में, पाकिस्‍तान अपने 300 उत्‍पादों के लिए भारत के बाजार में अपनी पहुंच बनाना चाहता है।
  • यदि भारत सरकार एमएफएन दर्जा वापस लेने का फैसला करती है तो, पाकिस्‍तान को आर्थिक मोर्चे पर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारत से पाकिस्‍तान को ऑर्गेनिक केमीकल्‍स, चीनी, सब्जियां, कपास, स्‍टील, प्‍लास्टिक और प्रोसेस्‍ड फूड वेस्‍ट जैसे चारा आदि का प्रमुखता से निर्याता होता है।
  • वहीं पाकिस्‍तान से भारत को कपास, फल, सूखे मेवे, खनिज ईंधन, मोम, सल्‍फर, चूना, सीमेंट और चमड़े का निर्यात किया जाता है।
  • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2.67 अरब डॉलर का है।

दर्जा खत्‍म करने से क्‍या पड़ेगा असर?

औद्योगिक संगठन एसोचैम का कहना है कि पाकिस्‍तान को दिए गए एमएफएन का दर्जा समाप्‍त करने से भारत के निर्यात पर कोई ज्‍यादा प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। क्‍योंकि दोनों देशों के बीच व्‍यापार बहुत कम है।

  • भारत-पाकिस्‍तान व्‍यापार संबंध बहुत ही निम्‍म स्‍तर पर है। भारत के कुल वैश्‍विक व्‍यापार में पाक के आयात-निर्यात की हिस्‍सेदारी आधे फीसदी से भी कम है।
  • यदि भारत एमएफएन दर्जा खत्‍म करने का फैसला लेता है तो इसका एक प्रतीकात्‍मक असर ही पड़ेगा क्‍योंकि वित्‍त वर्ष 2015-16 में भारत के 641 अरब डॉलर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान का हिस्सा मात्र 2.67 अरब डॉलर का है।
  • भारत से इस पड़ोसी देश को 2.17 अरब डॉलर का निर्यात किया जाता है, जो कि कुल निर्यात कारोबार का मात्र 0.83 फीसदी है।
  • पाकिस्तान से होने वाला आयात 50 करोड़ डॉलर यानी कुल आयात का 0.13 फीसदी है।

क्‍यों है यह महत्‍वपूर्ण?

भले ही एमएफएन का दर्जा खत्‍म करना एक प्रतीकात्‍मक ही क्‍यों न हो, लेकिन इससे ये कड़ा संदेश दुनियाभर में जाएगा कि भारत पाकिस्‍तान के साथ किस तरह के संबंध चाहता है। यदि भारत पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बहिष्‍कृत करवाना चाहता है तो उसका इस तरह के कदम उठाना बहुत ही महत्‍वपूर्ण होगा।

यदि भारत पाकिस्‍तान के साथ संबंधों को तोड़कर कड़ा संदेश नहीं देता है तो अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को पाकिस्‍तान के विरोध में खड़ा करना मुश्किल होगा। भारत के प्रति पाकिस्‍तान का विरोधी रवैया जल्‍द ही बदलने की उम्‍मीद तो नहीं है, लेकिन दुनियाभर में एक कड़ा संदेश भेजने की जरूरत है।

पाकिस्‍तान पर असर   

तत्‍काल प्रभाव बहुत मामूली हो सकता है, क्‍योंकि दोनों देशों के बीच व्‍यापार बहुत कम मात्रा में है। हालांकि, भारत पाकिस्‍तान को डब्‍ल्‍यूटीओ की विवाद निपटान समिति के सामने खींच कर ले जाने का विकल्‍प चुन सकता है। यहां भारत को पाकिस्‍तान से एमएफएन दर्ज के तहत मिली सुविधाओं को खत्‍म करने की मंजूरी मिल सकती है।

  • इसके अलावा भारत साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (साफ्टा) एग्रीमेंट के तहत पाकिस्‍तान को उपलब्‍ध कराई जाने वाली रियायतों को भी खत्‍म करने पर विचार कर सकता है।
  • भारत साफ्टा सदस्‍यों को भी पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कह सकता है।
  • अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश, भूटान, भारत, मालद्वीप, नेपाल, पाकिस्‍तान और श्रीलंका साफ्टा के सदस्‍य देश हैं।
  • इसका उद्देश्‍य सार्क देशों के बीच टैरिफ और अड़चनों को कम कर व्‍यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना है।
  • सार्क देशों के बाकी सदस्‍य भारत के साथ खड़े नजर आते हैं। सभी सदस्‍यों ने नवंबर में पाकिस्‍तान में होने वाली सार्क बैठक का बहिष्‍कार किया है।

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