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आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने दिया झटका, भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटाकर 6 फीसदी किया

आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है।

Written by: India TV Business Desk
Updated : October 13, 2019 13:34 IST
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नई दिल्ली। अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बाद अब विश्व बैंक ने आज रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। विश्व बैंक ने कहा भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है। गौरतलब है कि वहीं पिछले वित्त वर्ष (2018-19) में भारत की विकास दर 6.9 फीसदी रही थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ सालाना बैठक के बाद विश्व बैंक ने ये घोषणा की है। 

विश्व बैंक ने कहा है कि लगातार दूसरे साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट कम हुई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की संयुक्त वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान व्यक्त किया गया है। वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर, वित्त वर्ष 2017-18 के 7.2 प्रतिशत से नीचे 6.8 प्रतिशत रही थी। विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गयी, जबकि कृषि और सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर क्रमशः 2.9 और 7.5 प्रतिशत रही।

हालांकि, दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस के ताजा संस्करण में विश्वबैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति अनुकूल है और यदि मौद्रिक रुख नरम बना रहा तो वृद्धि दर धीरे-धीरे सुधर कर 2021 में 6.9 प्रतिशत और 2022 में 7.2 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष से भारत की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी। 

बता दें कि इसी हफ्ते अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा दिया था। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा था कि देशों के बीच व्यापार विवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। जॉर्जिवा ने कहा था कि साल 2019 में दुनिया की 90 फीसदी अर्थव्यवस्था के मंदी के चपेट में आने की आशंका है, भारत में इसका सबसे ज्यादा असर दिखेगा। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 की पहली तिमाही में मांग के मामले में निजी खपत में गिरावट तथा उद्योग एवं सेवा दोनों में वृद्धि कमजोर होने से अर्थव्यवस्था में सुस्ती रही। विश्वबैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2018-19 में चालू खाता घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत हो गया। एक साल पहले यह 1.8 प्रतिशत रहा था। इससे बिगड़ते व्यापार संतुलन का पता चलता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 में आर्थिक गति तथा खाद्य पदार्थों की कम कीमत के कारण खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 3.4 प्रतिशत रही। यह रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ठीक-ठाक कम है। इससे रिजर्व बैंक को जनवरी 2019 से अब तक रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती करने तथा मौद्रिक परिदृश्य को बदल कर नरम करने में मदद मिली। वित्तीय मोर्चे पर पहली छमाही में पूंजी की निकासी हुई। हालांकि अक्टूबर 2018 के बाद रुख बदलने से पिछले वित्त वर्ष के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 411.90 अरब डॉलर रहा। इसी तरह, डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति खराब रही। मार्च से लेकर अक्टूबर 2018 के बीच इसमें 12.1 प्रतिशत की गिरावट रही। हालांकि उसके बाद मार्च 2019 तक यह करीब सात प्रतिशत मजबूत हुआ।

विश्व बैंक ने कहा कि गरीबी में कमी जारी है, लेकिन इसकी रफ्तार सुस्त हो गयी है। वित्त वर्ष 2011-12 और 2015-16 के दौरान गरीबी की दर 21.6 प्रतिशत से कम होकर 13.4 प्रतिशत पर आ गयी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा शहरी क्षेत्रों में युवाओं की बेरोजगारी की ऊंची दर के साथ ही जीएसटी और नोटबंदी ने गरीब परिवारों की समस्याएं बढ़ा दी। हालांकि, प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर में हालिया कटौती से कंपनियों को मध्यम अवधि में लाभ होगा लेकिन वित्तीय क्षेत्र में दिक्कतें सामने आती रहेंगी। 

आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर का अनुमान 0.30 फीसदी घटाकर 7 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा था कि कॉर्पोरेट और रेग्युलेटरी अनिश्चितताओं और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई। इससे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में भारत का ग्रोथ रेट का अनुमान 6.8 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया था। जानकारों के मुताबिक, ऐसा घरेलू मांगों में आई कमी की वजह से किया गया है।

मालूम हो कि आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की सालान बैठक जल्द होने वाली है। 15 अक्तूबर को आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान के आधिकारिक संशोधित आंकड़े जारी करेगा। इस रिपोर्ट को ठीक उससे पहले प्रकाशित किया गया है। 

मूडीज ने भी भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटाया

इससे पहले, मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भी 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की ग्रोथ रेट का अनुमान 6.20 फीसदी से घटाकर 5.80 फीसदी कर दिया है। मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं। 

राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका

इससे पहले एशियाई विकास बैंक और ओईसीडी ने भी भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान कम कर दिया था। रेटिंग एजेंसियां स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और फिच ने भी पूर्वानुमान में कटौती की है। मूडीज ने कॉरपोरेट कर में कटौती तथा कम जीडीपी ग्रोथ रेट के कारण राजकोषीय घाटा सरकार के लक्ष्य से 0.40 प्रतिशत अधिक होकर 3.70 प्रतिशत पर पहुंच जाने की आशंका व्यक्त की।

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