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जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियों की जरूरत, लागू करने होंगे बड़े रिफॉर्म्स

भारत की रोजगार दर, अन्य जी-20 देशों की तुलना में काफी कम है। यदि आप जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से भारत के अनुमानों को देखें, तो भारत को अब से लेकर 2030 तक कुल मिलाकर छह करोड़ से 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करनी होंगी।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Aug 17, 2024 18:34 IST, Updated : Aug 17, 2024 18:34 IST
भारत में नौकरियां- India TV Paisa
Photo:FILE भारत में नौकरियां

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने शनिवार को कहा कि भारत रोजगार सृजन के मामले में जी-20 देशों में पिछड़ा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए देश को साल 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के हीरक जयंती कार्यक्रम में कहा कि साल 2010 से शुरू होने वाले दशक में भारत की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, लेकिन रोजगार दर दो प्रतिशत से कम रही।

हमारी रोजगार दर जी-20 के दूसरे देशों से कम

गोपीनाथ ने कहा कि इसलिए भारत की रोजगार दर, अन्य जी-20 देशों की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा, ''यदि आप जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से भारत के अनुमानों को देखें, तो भारत को अब से लेकर 2030 तक कुल मिलाकर छह करोड़ से 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करनी होंगी। हम पहले से ही 2024 में हैं, इसलिए हमें कम समय में बहुत सारी नौकरियां पैदा करनी होंगी।''

निजी निवेश की जरूरत

इसके लिए भूमि सुधार और श्रम संहिताओं को लागू करने सहित बुनियादी सुधारों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि की जरूरत है, क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद में सात प्रतिशत वृद्धि के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निवेश अच्छा चल रहा है, लेकिन निजी निवेश में सुधार करना होगा। गोपीनाथ ने यह भी कहा कि भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए, ताकि वह अपने कार्यबल का कौशल विकास कर सके।

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