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Air Travelers Data: DGCA ने जारी किया डेटा, घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या भारी गिरावट, विवादों के बाद भी स्पाइसजेट पहली पसंद

Air Travelers Data: घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या में जून की तुलना में जुलाई में गिरावट देखी गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने डेटा जारी करते हुए इसकी जानकारी दी है।

Edited By: India TV Business Desk
Published : Aug 18, 2022 17:29 IST, Updated : Aug 18, 2022 17:29 IST
DGCA ने जारी किया डेटा,...- India TV Paisa
Photo:FILE DGCA ने जारी किया डेटा, विवादों के बाद भी स्पाइसजेट पहली पसंद

Highlights

  • विवादों के बाद भी स्पाइसजेट पहली पसंद
  • जनवरी-जुलाई के दौरान यात्रियों की संख्या में आई वृद्धि
  • कोरोना महामारी के बाद से विमानन क्षेत्र पर पड़ा बुरा प्रभाव

Air Travelers Data: घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या में जून की तुलना में जुलाई में गिरावट देखी गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अपने ताजा हवाई यातायात आंकड़ों में कहा कि घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या जुलाई में घटकर 97.05 लाख रह गई, जो जून में 1.051 करोड़ थी। अब त्योहारी सीजन शुरु हो रहा है तो ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त के महीने में हवाई यात्रियों की संख्या में इजाफा देखने को मिल सकता है।

जनवरी-जुलाई के दौरान यात्रियों की संख्या में आई वृद्धि

डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू एयरलाइंस द्वारा जनवरी-जुलाई 2022 की अवधि के दौरान यात्रियों की संख्या 669.54 लाख थी, जो 2021 की इसी अवधि के दौरान 393.44 लाख थी, जिससे 70.18 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि और 93.82 प्रतिशत की मासिक वृद्धि दर्ज की गई। जुलाई में यात्री भार कारक या एयरलाइनों का अधिभोग 75 प्रतिशत से 85 प्रतिशत के बीच रहा।

स्पाइसजेट ने दर्ज की सबसे अधिक ऑक्यूपेंसी 

स्पाइसजेट ने सबसे ज्यादा 84.7 फीसदी ऑक्यूपेंसी दर्ज की, इसके बाद इंडिगो (77.7 फीसदी), एयर इंडिया (71.1 फीसदी) और गो फर्स्ट (76.5 फीसदी) का स्थान रहा। आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि विवाद में रहने के बावजूद भी स्पाइसजेट यात्रियों की पहली पसंद बनी रही। 

कोरोना महामारी के बाद से विमानन क्षेत्र पर पड़ा बुरा प्रभाव

कोविड महामारी के बाद विमानन क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित था और विमानन ईंधन की बढ़ती दर ने केवल एयरलाइंस के संकट को जोड़ा। हाल ही में डीजीसीए ने हवाई किराए की निचली और ऊपरी सीमा को हटाने की घोषणा की थी। वाहकों का विचार था कि क्षेत्र की फुल रिकवरी के लिए मूल्य निर्धारण की सीमा को हटाना आवश्यक है।

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