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महंगाई को काबू करने के लिए एक और कदम, सरकार ने उसना चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 26, 2023 14:05 IST, Updated : Aug 26, 2023 15:50 IST
उसना चावल- India TV Paisa
Photo:FILE उसना चावल

देश में बढ़ी महंगाई को काबू करने के लिए सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, सरकार ने उसना चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। इस कदम का मकसद पर्याप्त स्थानीय स्टॉक बनाए रखना और घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखना है। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि 25 अगस्त को लगाया गया निर्यात शुल्क 16 अक्टूबर, 2023 तक प्रभावी रहेगा। सीमा शुल्क बंदरगाहों में पड़े ऐसे उसना चावल पर शुल्क छूट उपलब्ध होगी, जिन्हें एलईओ (लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर) नहीं दिया गया है और जो 25 अगस्त, 2023 से पहले वैध एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) से समर्थित हैं। इन प्रतिबंधों के साथ भारत ने अब गैर-बासमती चावल की सभी किस्मों पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिया है। देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। 

गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध 

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने यह कदम आगामी त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और इनकी खुदरा कीमतें काबू में रखने के इरादे से उठाया था। इसके पहले पिछले साल सितंबर में टूटे चावल का निर्यात भी रोक दिया गया था। सरकार ने पिछले साल मई में ही गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 4.8 अरब डॉलर के बासमती चावल का निर्यात किया था। मात्रा में यह निर्यात 45.6 लाख टन था। इसी तरह गैर-बासमती चावल का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 6.36 अरब डॉलर रहा था, जबकि इसकी मात्रा 177.9 लाख टन थी। खाद्य मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि देश के कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत है। इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें नीचे लाने में मदद मिलेगी। 

गेहूं और चावल के खुदरा मूल्य बढ़े

गेहूं और चावल के औसत खुदरा मूल्य जुलाई में बढ़कर क्रमश: 29.59 रुपये प्रति किलोग्राम और 40.82 रुपये प्रति किलोग्राम हो गये। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि गेहूं और चावल के खुदरा मूल्य लगातार बदल रहे हैं और सरकार इनकी कीमत पर नजर रख रही है। उन्होंने बताया कि जनवरी में गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 31.58 रुपये प्रति किलोग्राम था जो मई में घटकर 28.74 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया था। इसके बाद गेहूं का औसत खुदरा मूल्य जुलाई में एक बार फिर बढ़कर 29.59 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया।

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