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America में Jaipur से मंगाई जा रही गाय की गोबर वाली राखी, कुवैत दे चुका है 192 मीट्रिक टन का ऑर्डर

Jaipur Rakhi: अमेरिका और मॉरीशस में रहने वाले भारतीयों के लिए इस साल रक्षा बंधन अलग होने वाला है। क्योंकि वे अपनी कलाई पर जयपुर से आई गाय के गोबर की राखी बांधेंगे।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: August 07, 2022 17:03 IST
America में Jaipur से मंगाई जा...- India TV Paisa
Photo:IANS America में Jaipur से मंगाई जा रही गाय की गोबर वाली राखी

Highlights

  • जयपुर से 192 मीट्रिक टन गाय के गोबर का निर्यात
  • राखी के अंदर रखे बीजों से होगा पौधे का विकास
  • इसे 250 स्थानों पर बेचने की होगी कोशिश

Jaipur Rakhi: अमेरिका (America) और मॉरीशस में रहने वाले भारतीयों के लिए इस साल रक्षा बंधन (Rakshabandhan) अलग होने वाला है। क्योंकि वे अपनी कलाई पर जयपुर (Jaipur) से आई गाय के गोबर की राखी बांधेंगे। इसके लिए तैयारी शुरु हो चुकी है। जल्द ही डिलीवरी भी शुरु हो जाएगी। कुछ महीने पहले जयपुर से 192 मीट्रिक टन गाय के गोबर का निर्यात किया गया था। 

ऑर्गेनिक फार्मर प्रोड्यूसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अतुल गुप्ता ने कहा कि अमेरिका से 40,000 राखियों का ऑर्डर आया है, वहीं मॉरीशस से 20,000 राखियों का एक और ऑर्डर मिला है। एसोसिएशन की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता गौर के मुताबिक, "इस साल गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र रहेगी। इन राखियों को सनराइज ऑर्गेनिक में देसी गाय के गोबर से बनाया गया है। श्रीपिंजरापोल गौशाला परिसर का पार्क ही वो जगह है जहां से हमारी महिला इकाई ने रक्षा बंधन पर गाय के गोबर और बीजों से बनी हर्बल राखियों का निर्यात करने का फैसला किया है। ये राखियां प्रवासी भारतीयों के लिए भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक होंगी।"

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

उन्होंने कहा, "गोबर की राखियों से होने वाली आय का उपयोग गाय की रक्षा के सार्थक प्रयासों में किया जाएगा। साथ ही, इन प्राचीन राखियों को बनाते हुए हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी के महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं अपनी आजीविका कमाकर आत्मनिर्भर बन जाएंगी। इसके अलावा, लोग चीनी राखियों के साथ-साथ पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली राखियों का उपयोग करने के लिए प्रेरित होंगे। इसके अलावा, कलाई पर गाय के गोबर से बनी राखी बांधने से विकिरण से भी सुरक्षा मिलेगी।"

नहीं आएगी गोबर की गंध

हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने कहा कि लोग गाय का सम्मान करते हैं। इसलिए गाय के गोबर और औषधीय बीजों से राखी बनाई जा रही है। गोबर को धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है, जिससे गोबर की गंध 95 प्रतिशत तक दूर हो जाती है। इसके बाद गाय के घी, हल्दी, सफेद मिट्टी और चंदन के साथ सूखे गोबर का बारीक चूर्ण मिलाया जाता है जिसे अन्य जैविक उत्पादों के साथ आटे की तरह गूंथकर रंगीन राखियां बनाई जाती हैं। पिछली सतह पर, जिसे कलाई पर बांधने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूरी प्रक्रिया में किसी भी रासायनिक वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता है।

राखी के अंदर रखे बीजों से होगा पौधे का विकास

मोनिका ने कहा कि ज्यादातर लोग राखी को थोड़ी देर बाद उतार देते हैं और रक्षा बंधन के बाद फेंक देते हैं। भाई-बहन के प्यार की प्रतीक राखी कुछ दिनों बाद कूड़े के ढेर में पहुंच जाती है। इसे देखते हुए राखी में तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ समेत अन्य बीज डाले जा रहे हैं, ताकि राखी को फेंकने की बजाय लोग गमले में या घर के आंगन में रख सकें, इस पहल से रोपण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राखी के अंदर रखे बीजों की मदद से एक पौधा।

इसे 250 स्थानों पर बेचने की होगी कोशिश

इन राखियों को जयपुर शहर में एक वितरक के माध्यम से लगभग 250 स्थानों पर बेचा जाएगा। इससे पहले कुवैत स्थित लैमोर ने 192 मीट्रिक टन देशी गाय के गोबर का ऑर्डर दिया था। अतुल गुप्ता ने  बताया, "सनराइज एग्रीलैंड एंड डेवलपमेंट रिसर्च को यह ऑर्डर मिला है।"

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