
घरेलू कंपनियों और कारोबारियों को अनुचित मूल्य पर आयात से बचाने के मकसद से भारत ने इस महीने अब तक छह चीनी उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया है। ये शुल्क - PEDA (शाकनाशी में इस्तेमाल किया जाता है); एसीटोनिट्राइल (फार्मा क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है); विटामिन-ए पामिटेट; अघुलनशील सल्फर; डेकोर पेपर; और पोटेशियम तृतीयक ब्यूटॉक्साइड पर लगाए गए हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, अलग-अलग नोटिफिकेशन में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग ने कहा कि लगाया गया शुल्क इन औद्योगिक इनपुट के आयात पर पांच साल की अवधि के लिए लगाया जाएगा।
कितना लगाया गया है शुल्क
खबर के मुताबिक, वाणिज्य मंत्रालय की एक शाखा, व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिशों के बाद शुल्क लगाए गए। पीईडीए पर शुल्क 1,305.6 अमेरिकी डॉलर से 2,017.9 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक होगा, जबकि चीन, रूस और ताइवान से आयातित एसीटोनिट्राइल पर 481 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है। इसी प्रकार, सरकार ने चीन, यूरोपीय संघ और स्विट्जरलैंड से आयातित विटामिन-ए पामिटेट पर 20.87 डॉलर प्रति किलोग्राम तक का शुल्क लगाया है। साथ ही टायर उद्योग में उपयोग होने वाले और चीन और जापान से आयातित अघुलनशील सल्फर के आयात पर 358 डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया है।
चीन और अमेरिका से आयातित पोटेशियम टर्शियरी ब्यूटॉक्साइड पर 1,710 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। इन रसायनों का उपयोग सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई), अन्य फार्मा प्रक्रियाओं, कृषि रसायन, विशेष रसायनों और पॉलिमर में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है। डेकोर पेपर पर 542 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है।
शुल्क का क्या होता है मकसद
भारत और चीन दोनों ही बहुपक्षीय संगठनों के सदस्य हैं, जो वैश्विक व्यापार मानदंडों से निपटते हैं। सस्ते आयात में बढ़ोतरी की वजह से घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा है या नहीं, यह तय करने के लिए देशों द्वारा डंपिंग रोधी जांच की जाती है। प्रतिकार के तौर पर, वे जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (WTO) की बहुपक्षीय व्यवस्था के तहत ये शुल्क लगाते हैं। इस शुल्क का मकसद निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करना और विदेशी उत्पादकों और निर्यातकों के मुकाबले घरेलू उत्पादकों के लिए समान अवसर बनाना है।
चीन के साथ देश का व्यापार घाटा
भारत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और चीन से आयात में कटौती करने के लिए कदम उठा रहा है, क्योंकि चीन के साथ देश का व्यापार घाटा 2024-25 के दौरान बढ़कर 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। पिछले वित्त वर्ष में, चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि 2023-24 में यह 16.66 अरब अमेरिकी डॉलर था। हालांकि, आयात 2024-25 में 11. 52 प्रतिशत बढ़कर 113. 45 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में यह 101.73 अरब अमेरिकी डॉलर था।