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सरकार ने दिया निवेशकों को तगड़ा झटका, अब डेट म्यूचुअल फंड पर देना होगा FD की तरह टैक्स

विधेयक में प्रस्ताव दिया गया कि एक अप्रैल से बॉन्ड या निश्चित आय वाले उत्पादों में निवेश से जुड़े म्यूचुअल फंड में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Mar 25, 2023 12:52 IST, Updated : Mar 25, 2023 12:52 IST
Nirmala Sitharaman- India TV Paisa
Photo:PTI Nirmala Sitharaman

संसद में हंगामे के बीच लोकसभा में शुक्रवार को वित्त विधेयक पास हो गया है। इस वित्त विधेयक में सरकार ने कई बड़े बदलाव किए हैं। प्रमुख बदलावों की बात करें तो सरकार ने सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स और बॉन्ड वाले म्यूचुअल फंड पर टैक्स लगा दिया है। जानकारों के अनुसार प्रस्तावित संशोधनों से बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। बता दें कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कराधान प्रस्ताव को प्रभावी करने वाला विधेयक शुक्रवार को लोकसभा में पारित हो गया। सरकार ने विधेयक में 64 आधिकारिक संशोधन किए। 

विधेयक में प्रस्ताव दिया गया कि एक अप्रैल से बॉन्ड या निश्चित आय वाले उत्पादों में निवेश से जुड़े म्यूचुअल फंड में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। अबतक निवेशकों को इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का लाभ मिलता था और इस कारण यह निवेश लोकप्रिय था। लेकिन, यह तब लागू होगा जब म्यूचुअल फंड कंपनियां डेट की कुल संपत्ति का 35 फीसदी से कम हिस्सा इक्विटी में निवेश करेंगी। इसके बाद निवेशकों को स्लैब के अनुरूप कर देना पड़ेगा।

निवेशकों को झटका देने वाले इस संशोधन के बाद यह अब अन्य ब्याज आधारित निवेश के समकक्ष ही हो गया है। वहीं, आयकर की नई प्रणाली में करदाताओं को सरकार ने थोड़ी और राहत दी है। इसके अलावा, अन्य संशोधनों में रॉयल्टी पर कर की दर बढ़ाना व तकनीकी सेवाओं की फीस 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 करना शामिल है।

बाजार पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव

  • वेदांत एसेट के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक ललित त्रिपाठी ने कहा कि बॉन्ड वाले कोष से मुद्रास्फीति के लाभ को खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल के बाद बाजार संबद्ध ऋणपत्र यानि एमएलडी  में निवेश अल्प अवधि कैपिटल असेट होगी। इसके साथ ही पूर्व के दीर्घकालिक निवेश खत्म हो जाएंगे और म्यूचुअल फंड उद्योग पर धीमे धीमे नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 
  • पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि कि वृद्धि अप्रत्याशित कदम हैए वह भी ऐसे समय में जब बाजार में उतार चढ़ाव छाया हुआ है। इससे बाजार की धारणा और व्यापार पर असर पड़ेगा। हम और ज्यादा स्पष्टता का आग्रह करते हैं क्योंकि वित्त मंत्रालय द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचनाओं में वायदा और विकल्प यानि एफएंडओ अनुबंधों की बिक्री पर एसटीटी में वृद्धि बताई गई थी। 
  • एसकेआई कैपिटल में रणनीतिक निदेशक मणिक वाधवा ने कहा कि विनियामक परिवर्तनों और कर समायोजनों के समायोजन में वित्तीय बाजारों ने पूर्व में लचीलापन दिखाया है। ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि पिछले एक से दो साल में कर लाभ के बावजूद म्युचुअल फंडों ने ऋण योजनाओं में निकासी देखी है।

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