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अहमदाबाद में हादसे का शिकार हुए प्लेन का ब्लैक बॉक्स मिला, जानें यह क्या होता है और जांच में कैसे होता है मददगार?

नाम ब्लैक बॉक्स है लेकिन इसका पूरी दुनिया में कलर नारंगी होता है। ब्लैक बॉक्स आग, विस्फोट, किसी तरह का प्रभाव पड़ने और पानी में डूबने के बावजूद सुरक्षित रहता है। यह आकार में गोल या बेलनाकार हो सकता है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jun 12, 2025 21:58 IST, Updated : Jun 13, 2025 18:47 IST
ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट रिकॉर्डर की उत्पत्ति 1930 के दशक में हुई थी।
Photo:INDIA TV ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट रिकॉर्डर की उत्पत्ति 1930 के दशक में हुई थी।

गुजरात के अहमदाबाद में हादसे का शिकार हुए प्लेन का ब्लैक बॉक्स मिल गया है। इस प्लेन का डीवीआर और इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर पहले ही मिल चुका है। हालांकि, इन दोनों डिवाइस में प्लेन के हादसे से जुड़ी तकनीकी जानकारियां नहीं होती हैं। डीवीआर में सिर्फ वही घटनाएं रिकॉर्ड होती हैं, जो विमान में लगे कैमरे कैद कर पाते हैं। वहीं, इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर का काम सिर्फ विमान की लोकेशन बताना होता है। सभी तकनीकी जानकारियां ब्लैक बॉक्स में ही होती हैं। आइए जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स क्या है और यह कैसे काम करता है। इसके मिलने पर हादसे की असली वजह कैसे पता चलती है।

क्या है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स को ही फ्लाइट रिकॉर्डर के नाम से जाना जाता है। ब्लैक बॉक्स एक ऐसा उपकरण है जो उड़ान के दौरान विमान के प्रदर्शन और स्थिति को रिकॉर्ड करता है। दुर्घटना या दूसरी असामान्य घटना के मामले में विशेषज्ञ डेटा का विश्लेषण करते हैं। फ्लाइट डिजाइनर आमतौर पर विमान की पूंछ (टेल) में फ्लाइट रिकॉर्डर या ब्लैक बॉक्स लगाते हैं। फ्लाइट रिकॉर्डर डेटा (विमान पैरामीटर) और ध्वनि (पायलट, सह-पायलट, रेडियो संचार और कॉकपिट परिवेश शोर) कलेक्ट करते हैं। ब्लैक बॉक्स आग, विस्फोट, किसी तरह का प्रभाव पड़ने और पानी में डूबने के बावजूद सुरक्षित रहता है।

ब्लैक बॉक्स की शुरुआत कब हुई

airbus के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट रिकॉर्डर की उत्पत्ति 1930 के दशक में हुई थी, जब फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रांकोइस हुसेनोट ने एक डेटा रिकॉर्डर पर काम करना शुरू किया था, जो एक फोटोग्राफिक फिल्म पर लगभग दस पैरामीटर को ऑप्टिकली प्रोजेक्ट करने वाले सेंसर से लैस था। यह फिल्म लगातार एक लाइट-टाइट बॉक्स में चलती थी, इसलिए इसका नाम 'ब्लैक बॉक्स' पड़ा, जो सालों से बचा हुआ है। ब्लैक बॉक्स का वास्तविक रंग नारंगी है। वास्तव में, नारंगी रंग शुरू से ही इसका चुना हुआ रंग था, क्योंकि इससे धातु के केस की पहचान करना आसान हो जाता है। ब्लैक बॉक्स हमेशा बॉक्स जैसा नहीं होता है, बल्कि आकार में गोल या बेलनाकार हो सकता है। ब्लैक बॉक्स नाम के बारे में कई सिद्धांत मौजूद हैं। 

ब्लैक बॉक्स क्या काम करता है?

ब्लैक बॉक्स दुर्घटनाओं के कारणों को स्पष्ट करने और उन्हें रोकने के तरीके खोजने में मदद करता है। ब्लैक बॉक्स का पहला उपयोग 1947 में हुआ था। 1958 के बाद, सिविल एरोनॉटिक्स बोर्ड द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार इसे विमान में रखना अनिवार्य कर दिया गया। ब्लैक बॉक्स विमान के बारे में सभी तरह की जानकारी और बातचीत स्टोर करता है। यात्री विमानों के ब्लैक बॉक्स 90 दिनों तक समुद्र के नीचे सिग्नल भेजने में सक्षम हैं। औसतन 5 किलो वजन वाले ब्लैक बॉक्स पानी के संपर्क में आते ही सक्रिय हो जाते हैं और सिग्नल भेजना शुरू कर देते हैं। 

पायलटों की आखिरी बातचीत सुन सकते हैं

पायलटों की बातचीत ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड की जाती है। इसलिए दुर्घटना की जांच करने वाले, पायलटों की आखिरी बातचीत सुन सकते हैं। हालांकि, यह हर ब्लैक बॉक्स पर लागू नहीं होता है। कुछ ब्लैक बॉक्स केवल विमान के बारे में डेटा रिकॉर्ड करते हैं, जबकि अन्य दोनों काम करते हैं। ब्लैक बॉक्स को ग्रेनाइट जितना मजबूत बनाया गया है। इससे उद्योग को विमान दुर्घटना के कारण और भविष्य में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर शोध करने का अवसर मिलता है। ब्लैक बॉक्स को विमान पर लगाने से पहले कई सुरक्षा परीक्षणों से गुजरना पड़ता है। कॉकपिट में पिछले 2 घंटों की बातचीत और विमान के पिछले 25 घंटों का डेटा इस उपकरण द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है।

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