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ब्रिटेन की वाइन-बीयर क्या भारत में होगी सस्ती? FTA को लेकर सरकार ने दी ये जानकारी

टाटा समूह की जेएलआर (जगुआर-लैंड रोवर) जैसी कंपनियों को बड़ा लाभ मिलेगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : May 11, 2025 20:04 IST, Updated : May 11, 2025 20:05 IST
Britain Wine and Bear
Photo:FILE ब्रिटेन की वाइन-बीयर

भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हो गया है। इसके बाद दोनों देश अपने यहां आयात होने वाले सामानों पर लगने वाले टैरिफ में राहत देंगे। इसके चलते कई सामान की कीमत भारत में कम होंगे। इसी तरह का असर ब्रिटेन में देखने को मिलेगा। वहां पर निर्यात होने वाले भारतीय सामान की कीमत कम होगी। हालांकि, इस बीच कई गलत जानकारी भी तैरने लगी है। इसको लेकर अब स्पष्टीकरण जारी किया गया है। भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि भारत ने एफटीए के तहत ब्रिटेन की वाइन पर कोई शुल्क रियायत नहीं दी है, जबकि बीयर पर सीमित आयात शुल्क लाभ दिया जा रहा है। 

कृषि उत्पादों पर भी कोई राहत नहीं 

भारत और ब्रिटेन में 6 मई को मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पूरा हुआ है। इस डील के बाद अब भारत ने स्पष्ट किया है कि वह कुछ संवेदनशील कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में कोई कटौती नहीं करेगा। इनमें डेयरी उत्पाद, सेब, पनीर, जई, पशु और वनस्पति तेल शामिल हैं। एक अधिकारी के अनुसार, व्यापार समझौते की बहिष्कृत सूची में कई अन्य कृषि उत्पादों के साथ वाइन भी शामिल है। भारत ने ब्रिटिश बीयर पर भी केवल सीमित सीमा तक शुल्क में छूट देने का निर्णय लिया है। इस एफटीए के तहत भारत में ब्रिटेन की स्कॉच व्हिस्की और कारें पहले की तुलना में सस्ती हो सकती हैं।

ब्रिटेन ने सामानों पर दीं राहत 

दूसरी ओर, ब्रिटेन ने भारत से निर्यात होने वाले परिधान और चमड़े के उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने का फैसला किया है। समझौते के तहत भारत, ब्रिटिश व्हिस्की पर वर्तमान में लगने वाला 150 प्रतिशत शुल्क घटाकर 75 प्रतिशत करेगा, और इसे धीरे-धीरे समझौते के 10वें वर्ष तक 40 प्रतिशत तक लाया जाएगा। भारत द्वारा वाइन पर कोई शुल्क रियायत न देना रणनीतिक रूप से अहम है, क्योंकि यूरोपीय संघ इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है। यदि ब्रिटेन को इस छूट का लाभ दिया जाता, तो यूरोपीय संघ भी अपनी वाइन पर समान रियायत की मांग कर सकता था, जिससे भारत पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता था।

जगुआर-लैंड रोवर की कीमत कम घटेगी

ब्रिटेन से आयातित गाड़ियों पर शुल्क में भारी कटौती का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत मौजूदा 100 प्रतिशत शुल्क घटाकर केवल 10 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इससे टाटा समूह की जेएलआर (जगुआर-लैंड रोवर) जैसी कंपनियों को बड़ा लाभ मिलेगा। शुल्क में इस कमी से भारत में जेएलआर के साथ-साथ रोल्स-रॉयस, एस्टन मार्टिन और बेंटले जैसी लग्ज़री गाड़ियों की कीमतें काफी हद तक घट सकती हैं।

हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को लेकर सरकार ने सतर्क रुख अपनाया है। रियायती शुल्क दर पर EV आयात का कोटा केवल कुछ हजार यूनिट तक सीमित रखा गया है। कोटे से बाहर आने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर किसी तरह की शुल्क कटौती नहीं की गई है। इसी तरह, आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों पर भी कोटा से बाहर शुल्क को तत्काल कम नहीं किया गया है, बल्कि इसे धीरे-धीरे लंबी अवधि में घटाया जाएगा ताकि देश के घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग को ब्रिटेन से बढ़ते आयात से निपटने का समय मिल सके।

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