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भारत ने तोड़ा Google का गुरूर, अब नहीं चलेगी एंड्रॉयड की मनमानी, बदलने पड़े प्ले स्टोर के नियम

देश में 97% मोबाइल यूजर्स एंड्राॅयड फोन चलाते हैं। गूगल के फैसले के बाद अब इन्हें अपनी मर्जी का डिफाल्ट सर्च इंजन चुनने का विकल्प मिलेगा। नया एंड्रॉयड मोबाइल या टैबलेट खरीदने पर एक च्वॉइस स्क्रीन दिखेगी, जिसके जरिए पसंदीदा सर्च इंजन चुन सकेंगे।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Jan 26, 2023 10:47 IST, Updated : Jan 26, 2023 10:49 IST
Google Apps- India TV Paisa
Photo:FILE Google Apps

भारत में स्मार्टफोन बाजार में लगभग एकाधिकार कर चुके गूगल को आखिरकार सरकार के सामने झुकना ही पड़ा है। कॉम्पटीशन कमीशन के भारी भरकम जुर्माने के बाद सरकार को धमकी दे रहे गूगल को आखिरकार झुकना ही पड़ा है। गूगल ने अपने प्ले स्टोर से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव कर दिया है। अब यूजर्स को एंड्रॉयड फोन में गूगल की एप्स चुनने की पूरी आजादी होगी। इसके साथ ही अब यूजर्स डिफॉल्ट सर्च इंजन के ​रूप में बिंज या याहू जैसी दूसरी एप्स को भी चुन सकेंगे। 

क्या है इस बदलाव का मतलब

देश में बिकने वाले करीब 97 प्रतिशत मोबाइल एंड्रॉयड के होते हैं। एंड्रॉयड गूगल का ही एक आपरेटिंग सिस्टम है। ऐसे में देश में बिकने वाले 97 फीसदी फोन पर गूगल का एकाधिकार है। ऐसे में जब आप किसी भी कंपनी का एंड्रॉइड फोन खरीदते हैं तो उसके में आपको गूगल की प्रीइंस्टॉल्ड एप्स मिलती हैं। आप इन्हें हटा नहीं सकते हैं। दरअसल गूगल मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स इन एप्स को स्थाई रूप से इंस्टॉल करने की अनिवार्यता लागू करता है। अब गूगल के ये एप्स अनिवार्य नहीं होंगे। गूगल प्ले स्टोर में इसी संबंध में बदलव किया गया है। गूगल ने कहा है कि अब यूट्यूब, फोटो, जीमेल जैसे इन कंपल्सरी एप्स को रखना जरूरी नहीं होगा। गूगल पर इन्हीं एप के जरिए विज्ञापन बाजार में भी मोनोपोली जमाने के आरोप हैं।

क्यों उठाया ये कदम 

दरअसल गूगल को यह कदम कंपनी की कोई सौम्यता नहीं है बल्कि उसकी हेकड़ी खत्म होने की मिसाल है। पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा उस पर लगाए गए 1337.76 करोड़ रु. के जुर्माने पर रोक से इनकार कर दिया था। CCI की जुर्माना लगाने की वजह यह थी कि गूगल एंड्रॉयड के बदले में मार्केट में कंपटीशन के नियमों का उल्लंघन कर रहा था। CCI के निर्णय के बाद गूगल ने भारत सरकार को लगभग धमकी देते हुए जुर्माने को रद्द करने की मांग की थी। 

सर्च इंजन और ब्राउजर चुनने की भी छूट

गूगल ने बुधवार को कहा कि वह भारत में एंड्रॉयड आधारित स्मार्टफोन उपयोग करने वालों को ‘डिफॉल्ट’ फीचर्स की सुविधा मुहैया कराने जा रहा है। यानि कि अब यूजर्स किसी विषय के बारे में सर्च गूगल ब्राउजर के अलावा किसी भी दूसरे ब्राउजर पर कर सकेंगे। 

कंपनी ने पेश किया अपना तर्क

हालांकि, कंपनी का तर्क है कि इस तरह के समझौते एंड्रॉयड को मुक्त रखने में मदद करते हैं। प्रतिस्पर्धा आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में अपने आदेश में कहा था कि गूगल के प्ले स्टोर के लाइसेंस को गूगल सर्च सर्विसेज, क्रोम ब्राउजर, यूट्यूब या किसी अन्य गूगल एप्लिकेशन को पहले से ‘इंस्टॉल’ करने की शर्त से नहीं जोड़ा जाएगा। आदेश में गूगल से गूगल मैप और यूट्यूब जैसे ऐप को हटाने की अनुमति देने को कहा गया था। फिलहाल इसे एंड्रॉयड फोन से नहीं हटाया जा सकता। ये फोन में पहले से ही ‘इंस्टॉल’ होते हैं। गूगल ने कहा कि हम जरूरत के अनुसार एंड्रॉयड का अद्यतन कर रहे हैं।

अमेरिका में भी गूगल पर मुकदमा 

भारत ही नहीं अमेरिका में भी गूगल एकाधिकार संबंधी मुकदमा झेल रहा है। अमेरिका में न्याय विभाग और 8 राज्यों ने ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में मोनोपोली कायम करने की पॉलिसी को लेकर गूगल के खिलाफ केस किया है। 140 पेज की शिकायत में कहा गया है कि डिजिटल विज्ञापन में गूगल ने सर्च इंजन में अपने प्रभुत्व से प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दिया है।

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