नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने त्योहारी सीजन के शुरू होते ही देशवासियों को बड़ी खुशखबरी दी है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि आईएमपीएस की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की आईएमपीएस सर्विस एक महत्वपूर्ण भुगतान प्रणाली है, जो 24x7 तत्काल घरेलू फंड ट्रांसफर सुविधा प्रदान करती है। इसका उपयोग इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग ऐप्स, बैंक ब्रांचेज, एटीएम, एसएमएस और आईवीआरएस के जरिये किया जा सकता है। भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को यह सेवा मुफ्त में देती है, वहीं कुछ बैंक इस सेवा के लिए शुल्क लेते हैं। यह शुल्क 3.50 रुपये से लेकर अधिकतम 15 रुपये (जीएसटी अतिरिक्त) तक है।
आईएमपीएस के लिए एमएमआईडी (मोबाइल मनी आइडेंटिफिकेशन नंबर) की आवश्यकता होती है, जो एक सात अंकों की संख्या है। इसमें पहले चार अंक आईएमपीएस सेवा देने वाले बैंक का विशिष्ट पहचान नंबर होता है। आईएमपीएस सेवा सभी रजिस्टर्ड बैंक ग्राहकों के लिए उपलब्ध है। जनवरी, 2014 से आईएमपीएस में एक दिन में अधिकतम भुगतान सीमा वर्तमान में 2 लाख रुपये थी। एसएमएस और आईवीआरएस माध्यम से प्रति लेनदेन सीमा 5000 रुपये है। घरेलू भुगतान लेनदेन की प्रक्रिया में आईएमपीएस प्रणाली के महत्व को देखते हुए प्रति लेनदेन सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया है।
आरबीआई ने कहा कि यह कदम डिजिटल भुगतान में और वृद्धि का नेतृत्व करेगा और 2 लाख रुपये से अधिक का भुगतान डिजिटल तरीके से करने के लिए उपभोक्ताओं को एक अतिरिक्त सुविधा प्रदान करेगा। इस संबंध में बैंकों को आवश्यक निर्देश आरबीआई द्वारा अलग से जारी किए जाएंगे।
इसके अलावा दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने देशभर में ऑफलाइन तरीके से खुदरा डिजिटल भुगतान की रूपरेखा का प्रस्ताव किया गया है। 14 बड़े एनबीएफसी ग्राहकों की शिकायतों के निपटान के लिए आंतरिक लोकपाल की व्यवस्था शुरू करने का फैसला भी बैठक में किया गया है। दास ने कहा कि दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता इस्तेमाल सुधरा है, आगे और सुधार की उम्मीद है। दास ने कहा कि पर्याप्त तरलता को लेकर कोई भी चिंता नहीं है। आरबीआई वृद्धि का समर्थन करने के लिए पर्याप्त तरलता को बनाए रखना सुनिश्चित करेगा। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक खुदरा महंगाई दर 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों में नहीं हुआ बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बरकरार रखा। यह लगातार आठवां मौका है जबकि केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को यथावत रखा है। इसके साथ केंद्रीय बैंक ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच अपने मौद्रिक रुख को नरम बनाये रखने का भी फैसला किया।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आखिरी बार 22 मई, 2020 को रेपो दर में बदलाव किया था। रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यक बैंक केंद्रीय बैंक से फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए अल्पकालीन कर्ज लेते हैं। दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है। इसी के अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत पर कायम रखा गया है। दास ने कहा कि एमपीसी ने एकमत से ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को भी कायम रखा है।
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