Sunday, April 28, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. फायदे की खबर
  4. सिर चकरा देगा जूट के बने बोरों का ये गणित, जानिए इन्हीं में क्यों रखा जाता है गेहूं, चावल और चीनी

सिर चकरा देगा जूट के बने बोरों का ये गणित, जानिए इन्हीं में क्यों रखा जाता है गेहूं, चावल और चीनी

सरकार के इन अनिवार्य नियमों से देश के करीब 8 राज्यों को फायदा मिलता है। जूट उद्योग देश की अर्थव्यवस्था विशेषरूप से पूर्वी क्षेत्र मसलन पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय के लिए महत्वपूर्ण है।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: February 22, 2023 15:38 IST
सिर चकरा देगा जूट के...- India TV Paisa
Photo:FILE सिर चकरा देगा जूट के बने बोरों का ये गणित

आप किसी अनाज मंडी में जाएं या फिर थोक किराने की दुकान में। आपको हर जगह जूट के बने बोरे दिखाई दे जाएंगे। आपको भले ही यह कोई आम बात लगे, लेकिन इसका गणित काफी उलझा हुआ है। जूट के इस कारोबार में पूर्वी, पूर्वोत्तर और दक्षिण पूर्वी भारत के करीब 8 राज्य जुड़े हुए हैं। यह कारोबार मुख्यत: सरकार के पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के नियमों के चलते फल फूल रहा है। ऐसा इसलिए कि करीब 10 हजार करोड़ के इस कारोबार में सरकारी खरीद 90 प्रतिशत से अधिक है। आइए जानते हैं क्या हैं जूट खरीद से जुड़ सरकार के नियम और कितना रोचक है इस कारोबार का गणित। 

सरकार के पैकेजिंग नियमों पर टिकी इंडस्ट्री

जूट उद्योग को सहायता देने में सरकार सबसे बड़ी भागीदार है। सरकार ने खाद्यान्न की पैकेजिंग में जूट को अनिवार्य किया है। आज ही एक बार फिर मोदी सरकार ने पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के नियमों को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जूट वर्ष 2022-23 (एक जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023) के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के आरक्षण संबंधी नियमों को मंजूरी दी गई। 

क्या है पैकेजिंग से जुड़ा सरकारी नियम 

सरकार द्वारा बनाए गए इन नियमों के तहत खाद्यान्न की 100 प्रतिशत पैकेजिंग जूूट के इन्हीं बोरों से की जाती है। इसके साथ ही चीनी की 20 प्रतिशत पैकिंग जूट बैग में करना अनिवार्य है। 

सरकार का मानना है कि इससे पर्यावरण सुरक्षा में भी मदद मिलेगी क्‍योंकि जूट एक प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल, नवीकरणीय और पुन: उपयोग वाला फाइबर है और सभी स्थिरता मानकों को पूरा करता है। 

8 राज्यों के किसानों और श्रमिकों को फायदा 

सरकार के इन अनिवार्य नियमों से देश के करीब 8 राज्यों को फायदा मिलता है। जूट मिलों और अन्य संबद्ध इकाइयों में कार्यरत 3.7 लाख श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी। जूट उद्योग देश की अर्थव्यवस्था विशेषरूप से पूर्वी क्षेत्र मसलन पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय के लिए महत्वपूर्ण है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए भी यह काफी महत्व रखता है।जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम के तहत आरक्षण नियम जूट क्षेत्र में 3.7 लाख श्रमिकों और कई लाख जूट किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्‍ध कराता हैं। 

9000 करोड़ की बिक्री में FCI की खरीद 85 प्रतिशत

जेपीएम अधिनियम, 1987 जूट किसानों, कामगारों और जूट सामान के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा करता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत जूट के बोरे (सैकिंग बैग) हैं, जिसमें से 85 प्रतिशत की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को की जाती है और बकाया उत्‍पादन का निर्यात/सीधी बिक्री की जाती है। सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 9,000 करोड़ रुपये मूल्‍य के जूट के बोरे खरीदती है जिससे जूट किसानों और कामगारों को उनकी उपज के लिए गारंटीशुदा बाजार सुनिश्चित होता है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। My Profit News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement