किसी भी तरह की बीमारी होने पर लोग डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ परिवार में बीमारी से किसी की जान नहीं जाए इससे बचने के लिए लोग हेल्थ इंश्योरेंस करवाते हैं। इनमें बहुत सारे तरह के छोटे और बड़े बीमारी शामिल होते हैं। कई बार ऐसा भी होता है जब लोग बीमार होने के बाद इलाज तो करवाते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पैसे देने पड़ते हैं। इसके बाद हेल्थ इंश्योरेंस को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए कई प्लान्स लेते हैं।
1. हेल्थ इंश्योरेंस में क्रिटिकल इलनेस प्लान की कब पड़ती है जरूरत
दरअसल सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस में कई क्रिटिकल बीमारियां शामिल नहीं होती है। ऐसी स्थिति में जिन लोगों के परिवार में किसी को क्रिटिकल बीमारी हो वे अलग से हेल्थ इंश्योरेंस में क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ने के बारे में सोचते हैं। वहीं दूसरी तरफ इस प्लान को लेते समय लोग छोटी-छोटी गलतियां कर जाते हैं। अगर आप भी क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ने के लिए सोच रहे हैं तो अलग-अलग पहले के ऊपर ध्यान देना जरूरी है। इनमें क्रिटिकल बीमारियां भारत और विदेश में उसका इलाज के अलावा अन्य खर्च शामिल हैं।
2. क्रिटिकल इलनेस प्लान में बीमारियों की लिस्ट करें चेक
क्रिटिकल इलनेस प्लान में लगभग 6 से लेकर 50 तरह की बीमारियों शामिल होती है। अगर आपको इनमें से कोई एक बीमारी हो या फिर इसे होने की संभावना हो तो ही आप इस प्लान को लें। अगर पॉलिसी धारक को आगे चलकर कोई बीमारी होती है तो इंश्योरेंस कंपनी इलाज के लिए एक साथ सभी खर्चा देने के लिए तैयार हो। आपको बताते चलें कि क्रिटिकल इलनेस प्लान में आमतौर पर किडनी, तीसरे और स्ट्रोक से जुड़ी गंभीर बीमारियां शामिल होती हैं।
3. भारत और विदेश में इलाज करवाने की सुविधा शामिल है या नहीं
क्रिटिकल इलनेस प्लान में अगर भारत के अलावा अन्य देशों में इलाज करवाने की सुविधा शामिल नहीं हो तो इससे लेने से बचना चाहिए। दरअसल कुछ बीमारियां ऐसी ही है जिसके लिए लोग विदेशों में इलाज करवाने जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर क्रिटिकल इलनेस प्लान हो तो आप हवाई खर्च से लेकर बीमारी से जुड़े सभी खर्च इसमें कवर कर सकते हैं। इसके अलावा इस प्लान में देश के प्रसिद्ध हॉस्पिटल भी शामिल होने चाहिए।