फिच रेटिंग्स ने यह भी कहा है कि पिछले दो सालों में भारत की आर्थिक गति में कुछ सुस्ती भी देखी गई है। साथ ही कहा कि अगर सरकार प्रस्तावित जीएसटी दरों में सुधार को अमल में लाती है, तो इससे घरेलू उपभोग को बल मिलेगा और यह आर्थिक मंदी के प्रभावों को संतुलित करने में मदद करेगा।
फिच रेटिंग्स ने ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में शामिल 10 उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए अगले पांच वर्षों में अपने मध्यम अवधि के संभावित जीडीपी अनुमानों को थोड़ा कम कर दिया है।
भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे क्योंकि यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास करती है, लेकिन ये लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं और एनडीए का कमजोर जनादेश इन कानूनों को पारित करना और जटिल कर देगा।
फिच ने उम्मीद जतायी कि बहुमत कम होने के बावजूद नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी। उसने सरकार के पूंजीगत व्यय बढ़ाने, कारोबार सुगमता के उपायों और धीरे-धीरे राजकोषीय समेकन पर अपना ध्यान केंद्रित करने को लेकर भी उम्मीद जाहिर की।
एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 38 प्रतिशत से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का करीब 40 प्रतिशत होने के बावजूद भारत का घरेलू ऋण दुनिया में सबसे कम है।
फिच रेटिंग्स ने मजबूत घरेलू मांग और व्यापार और उपभोक्ता विश्वास के लगातार रुख के चलते अपने अनुमान में इजाफा किया है। अपने नवीनतम 'ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक' में कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि घरेलू मांग के साथ तिमाही पूर्वानुमानों से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
India's GDP: भारत हर मोर्चे पर विकास कर रहा है। देश में कम हो रही महंगाई के चलते फिच रेटिंग्स ने भी इंडिया की जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा दी है।
आपको बता दें कि पूरी दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था ससबे तेज गति से बढ़ रही है। इस बात को अब तमाम रेटिंग मानने लगे हैं। फिच ने भी यह बदलाव भारत की तेज विकास रफ्तार को देखने के बाद ही किया है।
वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मंदी की संभावना 0% है। वहीं, अमेरिका, चीन और फ्रांस जैसे विकसित देशों पर भी मंदी का खतरा मंडरा रहा है। सबसे अधिक खतरा ब्रिटेन को लेकर बताई गई है।
फिच ने कहा कि हमारे विचार में, कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की आर्थिक रिकवरी को पटरी से नहीं उतारा है बल्कि उसमें देरी पैदा कर दी है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में पुनरुद्धार से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अपने महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।
फिच ने मंगलवार को जारी अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुई मंदी ने देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
सरकार ने 12 नवंबर को 2.65 लाख करोड़ रुपये के एक और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 नाम दिया गया है। इस पैकेज में संगठित क्षेत्र में रोजगार निर्माण को गति देना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), उर्वरक सब्सिडी और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम मनरेगा में बढ़ोत्तरी करना शामिल है।
Fitch Ratings ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा।
कोविड 19 मामले बढ़ने से छोटी अवधि में तेज रिकवरी की उम्मीद नहीं
फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के वृद्धि के अनुमान को घटा कर 8 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी ने पिछले माह इसके 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
फिच के अनुसार अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था फिर रफ्तार पकड़ सकती है।अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था 9.5% की रफ्तार से बढ़ सकती है।
एजेंसी ने कहा कि अप्रैल मध्य से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने और इसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर विपरीत असर पड़ा है।
फिच के मुताबिक रेटिंग का आकलन संकट के बाद के हालातों को देखकर किया जाएगा
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगातार दो तिमाहियों के दौरान नकारात्मक वृद्धि रहेगी।
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